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असम के ‘फारेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ पायेंग ने बढ़ाया देश का गौरव, मिला मैक्सिको से आमंत्रण

लखीमपुर (असम): यादव पायेंग प्रख्यात पर्यावरणविद और वानिकी कार्यकर्ता हैं। इनका जन्म असम के स्वदेशी मिसिंग जन जाति में हुआ है। इन्हें ‘फारेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। इन्होने कई दशकों तक ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे के माजुली द्वीप पर एक सैंडबार पर वृक्ष लगाकर उसे घने जंगल में तब्दील कर दिया […]

लखीमपुर (असम): यादव पायेंग प्रख्यात पर्यावरणविद और वानिकी कार्यकर्ता हैं। इनका जन्म असम के स्वदेशी मिसिंग जन जाति में हुआ है। इन्हें ‘फारेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। इन्होने कई दशकों तक ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे के माजुली द्वीप पर एक सैंडबार पर वृक्ष लगाकर उसे घने जंगल में तब्दील कर दिया है। इन्होने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और कठोर परिश्रम से मिट्टी और पंक से परिपूर्ण विस्तृत भू-भाग को हरा-भरा बनाकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। उनसे प्रेरित होकर इस जंगल का नाम ‘मोलाई वन’ रख दिया गया है। यह वन असम के जोरहाट के कोकिलामुख के निकट स्थित है। इस वन में तकरीबन 1360 एकड़/550 हेक्टेयर का क्षेत्र शामिल है। 

यादव पायेंग को उनकी उपलब्धि के लिए 22 अप्रैल 2012 को जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेज द्वारा आयोजित एक समारोह में सम्मानित किया गया था। उन्होंने एक सेमीनार में जंगल बनाने के अपने अनुभवों को साझा किया था। उस कार्यक्रम में मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह और जेएनयू के कुलपति सुधीर कुमार सोपोरी उपस्थित थे। सोपोरी ने यादव पायेंग को ‘फारेस्ट मैन ऑफ इंडिया‘ का खिताब दिया था। अक्टूबर 2013 में भारतीय वन प्रबंधन संस्थान ने अपने एक वार्षिक कार्यक्रम में इन्हें  सम्मानित किया था। उनके विशिष्ट अवदान के लिए असम कृषि विश्वविद्यालय और काजीरंगा विश्वविद्यालय ने उन्हें डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की थी। सन् 2015 में पायेंग को भारत के चैथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था।

यादव पायेंग को सुदूर मैक्सिको से 10 साल के लिए वीजा दिया गया है। अपने देश की एक वृहद् प्राकृतिक परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए मैक्सिको की सरकार ने यादव पायेंग के साथ एक समझौता किया है। साल में तीन महीने वहाँ रहकर असम के फारेस्ट मैन को  वानिकी की सृष्टि करने में वहां की सरकार की मदद करनी होगी। बरसात का मौसम शुरू होते ही पायेंग को वहां जाकर 8 लाख हेक्टेयर भूमि में किये जाने वाले वानिकी का मार्गदर्शन करना होगा। इसके लिए मैक्सिको सरकार ने उन्हें आमंत्रित किया है। मैक्सिको में दैनिक एक लाख छात्र छात्रा तथा युवक-युवती यादव पायेंग के साथ वृक्षारोपण में हिस्सा लेंगे। मैक्सिको में सितम्बर महीने में बरसात शुरू होती है। सितम्बर से 3 महीने वहां रहकर यादव पायेंग प्रति वर्ष 8 लाख हेक्टेयर भूमि में वृक्षारोपण करेंगे। यादव पायेंग ने असम के साथ-साथ भारत को भी गौरवान्वित किया है।

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