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असम की ‘मारवाड़ी जाति का इतिहास’ शीर्षक पुस्तक का किया गया विमोचन

जोनाईः असम की मारवाड़ी जाति का इतिहास नामक शीर्षक पुस्तक का गत 27 जून को जूम पटल पर विमोचन किया गया। असम की मारवाड़ी जाति का इतिहास नामक शीर्षक पुस्तक के लेखक डा. श्याम सुन्दर हरलालका है। पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन की साहित्य सृजन व विकास समिति के तत्वावधान में मारवाड़ी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष […]

जोनाईः असम की मारवाड़ी जाति का इतिहास नामक शीर्षक पुस्तक का गत 27 जून को जूम पटल पर विमोचन किया गया। असम की मारवाड़ी जाति का इतिहास नामक शीर्षक पुस्तक के लेखक डा. श्याम सुन्दर हरलालका है। पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन की साहित्य सृजन व विकास समिति के तत्वावधान में मारवाड़ी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गाड़ोदिया व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम शर्मा, संतोष सराफ, राष्ट्रीय महामंत्री संजय कुमार हरलालका सहित कई राष्ट्रीय नेताओं ने ग्रंथ का विमोचन किया।

साहित्य सृजन व विकास समिति के संयोजक उमेंश खंडेलिया ने अपने उद्देश्य आधारित वक्तव्य में असम के मारवाड़ी समाज की उज्जवल छवि प्रतिष्ठा हेतु साहित्य सृजन की आवश्यकता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मारवाड़ी समाज की भाषा, साहित्य, संस्कृति, खान-पान, उनकी विशेषता, विशिष्टता के संदर्भ में कोई साहित्य या ग्रंथ नहीं है। उन्होंने सम्मेलन के राष्ट्रीय नेताओं को भी इस संदर्भ में गहन चिंतन मनन करने का आह्वान किया।

श्रीखंडेलिया ने बताया उनकी समिति ’असम के मारवाड़ी कीर्ति पुरुष शीर्षक असमिया पुस्तक पर कार्य कर रही है तथा शीघ्र ही यह पुस्तक लोगों के हाथों में होगी।

प्रांतीय अध्यक्ष ओमप्रकाश खंडेलवाल की अस्वस्थता के बारे में जानकारी देते हुए सभा में उपस्थित महामंत्री अशोक अग्रवाल ने अध्यक्षता करते हुए समारोह में पधारे महानुभावों का अभिनंदन किया। उन्होंने प्रांतीय सम्मेलन की गतिविधि व भविष्य की योजनाओं के बारे में भी  जानकारी दी।

सी ए राजकुमार सराफ के तकनीकी संचालन में अनुष्ठित समारोह का शुभारंभ विशिष्ट समाज सेवी ग्रंथ प्रकाशन में अन्यतम सहयोगी श्यामसुंदर भिंवसरीया ने दीप प्रज्वलित करके किया। समिति के संयोजक ने लेखक डा. श्याम सुन्दर हरलालका का परिचय रखते हुए बताया। पिछले चार से पांच वर्षो के अथक प्रयास व विभिन्न घात-प्रतिघात के दरम्यान इस ग्रंथ रचना की इस हेतु समाज इनका आभारी हैं। उन्होंने डा सराफ को अपनी प्रसववेदना से समाज को भी अवगत कराते हुए अपनी बात रखने का अनुरोध किया। तत्पश्चात शंखनाद के बीच ग्रंथ का उद्घाटन किया गया।

दर्शकों को आश्चर्य 
नयी परंपरा का अहसास तब हुआ जब विमोचक राष्ट्रीय अध्यक्ष गोवर्धन प्रसाद गाड़ोदिया , मुख्य वक्ता भूतपूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम शर्मा, राष्ट्रीय महामंत्री संजय हरलालका सहित किसी भी विमोचक वक्ता ने पुस्तक के अंदरुनी संदर्भ में कुछ भी नहीं कहा। जबकि विमोचक का वक्तव्य पुस्तक की गुणवत्ता, उसकी उपादेयता व पाठकों से उसे ग्रहण करने की अपील जैसे मुद्दों पर केंद्रित होता है। यही कारण होता है कि विमोचन कर्ता को अध्यन हेतु पुस्तक पहले ही उपलब्ध करा दी जाती है।

सूत्रों के अनुसार सभी विमोचन कर्ताओं को पुस्तक पांच दिन पूर्व ही प्राप्त हो गयी थी। मारवाड़ी समाज के विभिन्न पहलुओं को समेटते हुए इस बहुप्रतिक्षित ग्रंथ की ना केवल मारवाड़ी समाज वरन् स्थानीय प्रबुद्ध वर्ग ने भी सराहना की है।

इस आयोजन को लेकर प्रांतीय कार्यकर्त्ताओं में काफी उत्सुकता थी, वहीं जानकारी यह भी है कि इस आयोजन को लेकर राष्ट्रीय कार्यालय से अंतिम समय तक अनावश्यक संशोधन को लेकर बनाये गये हस्तक्षेप से आयोजनकर्ताओं को काफी परेशानी भी उठानी पड़ी।

जानकारी यह भी सामने आ रही है कि सम्मेलन का राष्ट्रीय भाव एक सीमित क्षेत्र तक ही है जिसमें पूर्वोत्तर की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। सम्मेलन की अपनी एक मुख पत्रिका समाज विकास है परंतु उस पत्रिका में भी सम्मेलन नेतृत्व के अपने पसंदीदा लेखक को ही स्थान मिलता है। डा श्याम सुन्दर हरलालका जैसे 10 ग्रंथो के रचयिता की लेखनी का भी वहां कोई अहमियत नहीं होती।

अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन के ऐसी बहुत सी अंदरुनी बातें सामने आ रही है जो काफी सनसनीखेज हो सकती है। राष्ट्रीय नेताओं के ऐसे रवैए पर कुछ लोगों ने असंतोष व्यक्त करते हुए इसमें संशोधन की मांग की है।

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