जोनाईः असम के धेमाजी जिले के जोनाई महकमे में जिले के अतिरिक्त उपायुक्त व प्रभारी महकमाधिपति जिमली सईकिया काकोती ने ब्रह्मपुत्र आमंत्रण अभियान में गत 31 दिसम्बर को जोनाई के सार्किट हाउस प्रांगण में आयोजित मेला में शिरकत की। जिसमें ब्रह्मपुत्र आमंत्रण अभियान में लोगों को सजगता दिखाई गई। ब्रह्मपुत्र आमंत्रण अभियान एक रिवर राफ्टिंग अभियान है, जिसे केन्द्र सरकार की जल शक्ति मंत्रालय द्वारा नदियों के साथ जीवन शीर्षक के साथ चलाया ज रहा हैं। इस अभियान में लोगो को नदियों के साथ रहन-सहन के साथ ही नदियों की स्वच्छता के बारे में भी सजगता फैलाया जा रहा हैं।
ब्रह्मपुत्र बोर्ड के माजुली डिवीजन के जोरहाट सार्किल के प्रभारी व अधिक्षक अभियंता अनिल कुमार डेका, कनिष्ठ अभियंता जीवन चंद्र मेदक, बीआर दास, सेंक्शन एसिस्टेंट शैलेन सईकिया द्वारा शुरू किए गए इस अभियान को लेकर जोनाई महकमे के महकमाधिपति जिमली सईकिया काकोती और महकमे के कार्यवाही दण्डाधीश प्रीतम कुमार दास द्वारा किये गये सहयोग की सराहना करने के साथ ही धन्यवाद ज्ञापन दिया।
आज जोनाई के बोगी नदी से शुरू होने वाले ब्रह्मपुत्र आमंत्रण अभियान के तहत किये गये राफ्टिंग अभियान और आउटरीच कार्यक्रम को जिले के अतिरिक्त उपायुक्त व प्रभारी महकमाधिपति जिमली सईकिया काकोती ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यहां से आज जाने वाले नौकायन दल बोगीनदी से रवाना होकर डिबरुगढ़ जिले में रुकेगा और आगामी 2 जनवरी को डिबरुगढ़ से शुरू होकर धेमाजी जिले के सियालमारी, 3 जनवरी को शिवसागर जिले के शोरागुड़ी छापरी, 4 जनवरी को माजुली में एक दिन के लम्बे हाल्ट के बाद माजुली में बड़ी प्रदर्शनी मेले का आयोजन किया जाएगा। जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल, जल सम्पदा मंत्री केशव महंत सहित केन्द्रीय व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहेंगे। उल्लेखनीय हैं कि ब्रह्मपुत्र आमंत्रण अभियान पिछले 23 दिसंबर को अरुणांचल प्रदेश के गेलिंग से शुरू हुआ था और 21 जनवरी 2021 को धुबड़ी जिले के हातसिंहमारी में इसका समापन होगा।
केन्द्र सरकार की ब्रह्मपुत्र आमंत्रण अभियान “नदियों के साथ जीवन” के विषय पर आयोजित यह कार्यक्रम महीने भर चलता रहेगा। जिसका उद्देश्य लोगों को ब्रह्मपुत्र नद के बारे में जागरूक फैलाना है। ब्रह्मपुत्र वह प्रमुख नदी है, जो भारत के अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी के रुप में प्रवेश करती है और असम में ब्रह्मपुत्र का रूप ले लेती है। यहां से यह नदी बांग्लादेश चली जाती हैं और वहां यह गंगा नदी के साथ मिल जाती है और फिर बंगाल की खाड़ी में समा जाती है।
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