विचार

इस साइकलिंग स्कूल में मिलता है महिलाओं स्वास्थ्य और स्‍वावलंबन

यह साइकिल स्कूल सस्टेनेबल मोबिलिटी नेटवर्क और हेल्प दिल्ली ब्रीथ कलेक्टिव के साझा प्रयासों का नतीजा है। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं के लिए साइकिल चलाने के कौशल को सीखने और विकसित करने के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाना है।

महिलाओं के लिए साइकिल चलाना सीखना महज़ एक शौक नहीं। बल्कि यह एक ऐसा जीवन कौशल है जो महिलाओं की स्वतंत्रता को बढ़ावा दे सकता है। भारत में महिलाओं के लिए, साइकिल चलाना न सिर्फ परिवहन का एक सस्ता और विश्वसनीय साधन प्रदान करता है बल्कि इससे उनकी गतिशीलता और स्वतंत्रता में वृद्धि भी हो सकती है। साथ ही, साइकलिंग से उनके स्वास्थ्य और फिटनेस में भी सुधार होगा। और इस सब के साथ जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वो है उनके आत्मविश्वास में आने वाली बढ़त, जिसकी मदद से महिलाएं को उन अवसरों तक पहुँच मिल सकती है जो उन्हें सशक्त बनने में मदद दें और जिन तक उनकी पहुँच अब तक संभव नहीं थी। और साइकलिंग से होने वाले पर्यावरणीय फायदे तो जग ज़ाहिर हैं।

इन्हीं सब बातों के चलते, जहां पिछले हफ्ते कनॉट प्लेस, दिल्ली ने महिलाओं के लिए साइकिल स्कूल का शुभारंभ देखा, वहीं अब, पड़ोसी राज्य हरयाणा के गुरुग्राम में ऐसा ही साइकिल स्कूल महिलाओं के लिए शुरू किया गया।

यह साइकिल स्कूल (Cycle School) सस्टेनेबल मोबिलिटी नेटवर्क (Sustainable Mobility Network) और हेल्प दिल्ली ब्रीथ कलेक्टिव (Help Delhi Breathe Collective) के साझा प्रयासों का नतीजा है। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं के लिए साइकिल चलाने के कौशल को सीखने और विकसित करने के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाना है।

सस्टेनेबल मोबिलिटी नेटवर्क में 30+ संगठन शामिल हैं, जो ‘ज़ीरो एमिशन, ज़ीरो एक्सक्लूज़न, और ज़ीरो रोड डेथ्स’ के व्यापक त्रिकोणीय दृष्टिकोण रखते हैं और रखने पर ज़ोर देते हैं। यह नेटवर्क 2020 से सक्रिय है और स्वच्छ, न्यायसंगत, जेंडर सेंसिटिव और सुलभ परिवहन की दिशा में बदलाव के लिए अधिक सक्षम वातावरण बनाने की दिशा में काम कर रहा है। वहीं हेल्प दिल्ली ब्रीथ 2015 से सक्रिय है और लोगों और संगठनों का एक ऐसा समूह है जो दिल्ली एनसीआर के वायु प्रदूषण संकट के मुद्दों पर काम कर रहा है।

साइकिल स्कूल के प्रतिभागियों को तकनीकी प्रशिक्षण सहायता प्रदान करने के लिए नोएडा स्थित साइकिल कंपनी साइक्लोफिट के साथ भी भागीदारी की।

दिल्ली और गुरुग्राम से पहले यह नेटवर्क पिछले 2 वर्षों में बैंगलोर में ‘बेंगलुरु मूविंग’ आंदोलन के तहत साइकिल स्कूलों को चला रहा है। वहाँ भी इन स्कूलों का उद्देश्य महिलाओं के लिए समान पहुंच, सुरक्षा और सामुदायिक जुड़ाव प्रदान करना है। दिल्ली में 200+ प्रतिभागियों को सिखाने के बाद यह स्कूल अब गुरुग्राम में आया है जहां रविवार को हुए सत्र में 40 से अधिक महिलाओं ने पेडलिंग की, प्रशिक्षकों और स्वयंसेवकों की मदद से संतुलन बनाना सीखा और अपने साइकिल चलाने के कौशल में आत्मविश्वास हासिल किया।

अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एक युवा प्रतिभागी ने कहा, “बचपन में मुझे कभी भी साइकिल चलाने का मौका नहीं मिला लेकिन हमेशा सीखने की इच्छा थी।” उन्होने आगे कहा, “यह मेरे लिए एक उपयोगी जीवन कौशल हासिल करने का एक बेहतरीन अवसर था।”

आगे, हेल्प दिल्ली ब्रीद की सीनियर कैम्पेनर मल्लिका आर्य ने कहा, “हम जानते हैं कि साइकिल चलाना डराने वाला हो सकता है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो महसूस कर सकती हैं कि साइकिल चलाने वाले समुदाय में उनका प्रतिनिधित्व या स्वागत नहीं किया जाता है। हम महिलाओं को साइकिल चालकों के रूप में सीखने और बढ़ने के लिए एक सुरक्षित और सहायक स्थान प्रदान करके इस सोच को बदलना चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि अब लोग निजी वाहनों का उपयोग करने के बजाय छोटी दूरी के लिए साइकिल चुनना शुरू करेंगे।”

वहीं बीवाईसीएस की मातृशी शेट्टी कहती हैं, “इस नेटवर्क के हिस्से के रूप में हम न सिर्फ इसका समर्थन करने हैं, बल्कि हम काफी उत्साहित भी हैं इसे ले कर। हमारा मानना है कि साइकिल चलाना एक परिवर्तनकारी गतिविधि है जो लोगों के स्वास्थ्य, खुशी और समुदाय की भावना में सुधार कर सकती है। हमें दिल्ली एनसीआर में महिलाओं के लिए उस अनुभव को और अधिक सुलभ बनाने में मदद करने पर गर्व है।” वो आगे कहती हैं कि उनका लक्ष्य इन साइकिल स्कूलों में से उन महिलाओं को एक साथ लाना है जो सवारी करना सीखना चाहती हैं और साइकिल के अनुकूल शहर की मांग के लिए अपनी आवाज़ जोड़ना चाहती हैं।

यह पहल सभी उम्र और कौशल स्तरों की महिलाओं के लिए खुली है।