विडंबना है कि जितना लोग अपनी स्कूटर, बाइक, कार की सेवा सुरक्षा पर ध्यान देते हैं, उतना अपने शरीर पर नहीं। लेकिन ऐसा करते हुए वे लोग ये भूल जाते हैं कि अगर ये शरीर स्वस्थ रहेगा तभी आप अपनी गाड़ियों की सुरक्षा भी कर सकते हैं। इसलिए अपने शरीर पर ध्यान पहले दें और दूसरी चीजों को अपनी प्राथमिकता न बनाएं।
लोग अपनी स्कूटर कार आदि की बहुत सेवा करते हैं, सुरक्षा करते हैं। पेट्रोल डीजल की टंकी में कचरा नहीं जाने देते, बहुत सावधानी रखते हैं। उसकी ऑयलिंग, ग्रीसिंग, सर्विसिंग नियमित समय पर कराते हैं, तो उनकी स्कूटर कार उनकी भी अच्छी सेवा करती है।
अब लोग अपनी स्कूटर, कार की सेवा सुरक्षा जितनी करते हैं, उतनी अपने शरीर की नहीं करते। उसकी तुलना में बहुत कम ध्यान देते हैं।
लोगों के पास न कोई सोने का समय निर्धारित है, और न ही कोई उठने, जागने का समय निर्धारित है। न खाने-पीने का कुछ पता है और न दूसरी नित्य क्रियाओं का।
कार की टंकी में कचरा नहीं जाने देते और शरीर की टंकी में अर्थात पेट में कुछ भी डाल देंगे। जानकारी ही नहीं कि क्या खाना है और क्या नहीं खाना?
कब खाना है और कितना खाना है? व्यायाम का तो पता ही नहीं कि व्यायाम भी करना चाहिए। इतने आलसी लोग हैं। व्यायाम से बचने की बहुत कोशिश करते हैं। न ही नियमित रूप से शरीर की शुद्धि पर ध्यान देते।
महीने में एक आध बार अच्छी प्रकार से शरीर का शोधन करना चाहिए। एक आध समय भोजन छोड़ देना चाहिए। उसकी तो कोई जानकारी ही नहीं है। न कोई खाने का समय निर्धारित है। जब मन में आया तभी खा लेते हैं। कुछ भी खा लेते हैं। कहीं भी खा लेते हैं। शाकाहारी, मांसाहारी सब खा लेते हैं।
बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, पान, मसाला, तंबाकू, शराब, अंडे, मांस सब खा लेते हैं। अब बताइए यह शरीर बिगड़ेगा या नहीं? अवश्य बिगड़ेगा.!
ब्रह्मचर्य का कोई पालन नहीं। मन और इंद्रियों पर कोई संयम नहीं। सब बुरे काम मन इंद्रियों शरीर आदि से करते हैं। ऐसी स्थिति में बताइए, शरीर कैसे स्वस्थ रहेगा? कैसे वह आत्मा की सेवा करेगा?
यदि इतनी लापरवाही आप अपनी स्कूटर कार के साथ करें, तो वह 10-15 दिन में बिगड़ जाएगी।
ईश्वर की कृपा है, कि शरीर बहुत समय तक आप की असभ्यता दुर्व्यवहार अत्याचार को सहता रहता है और बहुत लंबे समय के बाद रोगी होता है।
यदि आपने और अधिक लंबे समय तक शरीर पर ऐसे ही अत्याचार किया, और इसकी सेवा सुरक्षा नहीं की, तो फिर वृद्धावस्था में आपको अपने बुरे कर्मों की पूरी कीमत चुकानी पड़ेगी, अर्थात तरह तरह के रोगों से ग्रस्त हो कर दुख भोगने पड़ेंगे!
जीवन कठिन हो जाएगा। घुटने, कंधे, कमर आदि अंगों में दर्द होगा। आप जीना नहीं चाहेंगे, परंतु जीना पड़ेगा। अपने बुरे कर्मों का दंड भोगना पड़ेगा।“ इसलिए सावधान हो जाएं।
शरीर को स्वस्थ बलवान एवं दीर्घायु बनाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सकों या आयुर्वेदिक वैद्यों से संपर्क करें.! उनके निर्देश आदेश सुझाव का पालन करें। और शरीर की पूरी पूरी देखभाल रक्षा सुरक्षा करें। तभी बुढ़ापे में यह आपका शरीर आपकी सेवा करेगा, अन्यथा नहीं।
आपकी स्कूटर कार तो 10, 12, 15 या 20 वर्ष तक आपकी सेवा करती है। उसकी तो आप पूरी सुरक्षा और देखभाल करते हैं। जबकि शरीर 70, 80, 90 या 100 साल तक आपकी सेवा करता है, यही आपका सबसे पहला सच्चा मित्र है। यह जन्म से मृत्यु तक हर समय आपका साथ निभाता है।
लेकिन फिर भी आप इस पर ध्यान ही नहीं देते। यह तो उचित व्यवहार नहीं है। इसलिए गंभीरता से आत्म निरीक्षण करें। अपना भला बुरा स्वयं सोचें।
यदि आपको अपना बुढ़ापा, भविष्य प्रिय हो, सुखदायक चाहते हों, तो शरीर की का नियमित ध्यान रखें और शरीर के हिसाब से व्यायाम जरूर करें।