विचार

भारत ने 2023 की पहली छमाही में सौर ऊर्जा उत्पादन की वैश्विक वृद्धि में किया 12% का योगदान

रिपोर्ट में जनवरी से जून 2023 तक, पिछले साल की समान अवधि की तुलना में, 78 देशों में बिजली उत्पादन डेटा का विश्लेषण किया गया है।

ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर (energy think tank amber) द्वारा आज प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत ने यूरोपीय संघ के समान, 2023 की पहली छमाही में सौर ऊर्जा उत्पादन में वैश्विक वृद्धि में 12% का योगदान दिया।

रिपोर्ट में जनवरी से जून 2023 तक, पिछले साल की समान अवधि की तुलना में, 78 देशों में बिजली उत्पादन डेटा का विश्लेषण किया गया है। यह देश वैश्विक बिजली मांग के 92% का प्रतिनिधित्व करते हैं। वैश्विक स्तर पर, साल 2023 की पहली छमाही में सौर ऊर्जा (Solar Power) ने वैश्विक बिजली का 5.5% उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि से 16% (+104 TWh) की वृद्धि है। भारत की 26% (+12 TWh) की सौर वृद्धि वैश्विक औसत से ऊपर थी, और इसी अवधि में देश की आधी मांग का भी प्रतिनिधित्व किया। 50 देशों ने साल 2023 की पहली छमाही में सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए नए मासिक रिकॉर्ड बनाए, जिसमें मई में भारत भी शामिल है। 2023 की पहली छमाही में, भारत ने अपनी 7.1% बिजली सौर ऊर्जा से उत्पन्न की।

भारत में मध्यम मांग वृद्धि के बीच रिन्यूबल एनेर्जी (renewable energy) में वृद्धि के कारण कोयला उत्पादन में धीमी वृद्धि हुई। परिणामस्वरूप, 2023 की पहली छमाही में भारत के बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन में 3.7% (+19 मिलियन टन CO2) की वृद्धि तो हुई, मगर यह साल 2022 की पहली छमाही में देखी गई वृद्धि के आधे से भी कम है (+9.7%, +45 मिलियन टन) CO2). भारत में, 2023 की पहली छमाही में पवन और सौर ऊर्जा में वृद्धि ने 11 मिलियन टन उत्सर्जन की वृद्धि को रोक दिया।

एम्बर के भारत विश्लेषक नेशविन रोड्रिग्स ने कहा, “भारत में सौर ऊर्जा में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनने की क्षमता है। रिन्यूबल एनेर्जी कार्बन उत्सर्जन वृद्धि को धीमा करने का काम कर रही हैं जो दुनिया को बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन में एक स्थिर स्तर पर लाने में मदद कर रही है।”

जैसा कि कहा गया है, सौर ऊर्जा द्वारा उत्पादन में भारत की वृद्धि 2022 और 2023 की पहली छमाही (+12 TWh) में समान थी। इसका मतलब यह है कि इस वर्ष की पहली छमाही (+26%) में सौर ऊर्जा की सापेक्ष वृद्धि पिछले वर्ष की समान अवधि (+35%) की तुलना में कम है। एम्बर के एशिया प्रोग्राम लीड, आदित्य लोला कहते हैं, “अगर भारत को अपनी नई राष्ट्रीय बिजली योजना में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करना है और अपनी उच्च विकास दर को बनाए रखना है तो उसे अगले 4-5 वर्षों में बड़ी सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।”

विश्व स्तर पर सौर और पवन में वृद्धि के बावजूद, प्रतिकूल जलविद्युत स्थितियों ने समग्र उत्सर्जन को गिरने से रोक दिया। वर्ष की पहली छमाही में सूखे के कारण पनबिजली उत्पादन में ऐतिहासिक गिरावट (-8.5%, -177 TWh) देखी गई, जिसमें चीन की हिस्सेदारी तीन-चौथाई थी। परिणामस्वरूप, वैश्विक बिजली क्षेत्र का उत्सर्जन पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 0.2% की मामूली वृद्धि के साथ स्थिर हो गया।