नार्थ-ईस्ट

रुकसिन में आदी सम्प्रदाय के लोग की तीन दिवसीय एतर पूजा का आयोजन

जोनाई: अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट सियांग जिले के रुकसिन महकमा के रुकसिन गांव में आदी सम्प्रदाय के लोगों ने प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 15 से 17 मई तक तीन दिवसीय एतर पूजा का आयोजन रुकसिन के डेरे भवन अर्थात नामघर में किया जा रहा है। जिसमें आदी सम्प्रदाय के लोग अपने अपने […]

जोनाई: अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट सियांग जिले के रुकसिन महकमा के रुकसिन गांव में आदी सम्प्रदाय के लोगों ने प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 15 से 17 मई तक तीन दिवसीय एतर पूजा का आयोजन रुकसिन के डेरे भवन अर्थात नामघर में किया जा रहा है।

जिसमें आदी सम्प्रदाय के लोग अपने अपने खेत खलिहानों में जंगलों की सफाई करने के बाद जंगलों से बांस काटकर पुरे गांव में बेड़ा अर्थात फेंसिंग लगाते हैं। जिसमें पुरे वर्ष अपने खेतों के फसल उगाने में पशुओं से सुरक्षा करने के लिए बेरा लगाते है।उनका मानना है कि जंगलों में जाकर बेरा लगाने के दौरान अनजाने में छोटे छोटे जीव आदि की मरने की आंशका और डांगरिया बाबा की पूजा अर्चना करते हैं। ताकि अनजाने में हुई छोटी छोटी जीवों की हत्या की आंशका में समाज के पुरोहित को बुलाकर पुजा अर्चना किया जाता हैं|

गांव के युवक-यूवतियों मिलकर प्रति दिन रात्रि के समय इक्क्ठा होकर सार्वजनिक नामघर में नाच गान कर अपने इष्ट देव को मानते हैं। इसके पूर्व गांव के लोग अपने अपने घरों में सुअर, मिथून और मुर्गा- मुर्गियां का बलि चढ़ाते है और इसे प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है।

कई कृषि, धार्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक त्योहार हैं जहां लोग नृत्य करते हैं, गाते हैं, प्रार्थना करते हैं, आभार व्यक्त करते हैं और एक समुदाय के रूप में आनंदित होते हैं। जाविशिष्ट संस्कृति का राज्य है, और भारत के सबसे भव्य स्थानों में से एक है। राज्य में कई जनजातियां निवास करती हैं ।जो इसे अपनी विविध संस्कृति और परंपराओं के साथ काफी रंगीन बनाती हैं।