नार्थ-ईस्ट

जोनाई महकमा में भी आज मे-डाम-मे-फी का आयोजन

जोनाई: धेमाजी जिले के जोनाई महकमा में भी आज मे-डाम-मे-फी का आयोजन किया गया। जिसमें ताई आहोम युवा परिषद की जोनाई और पासीघाट महकमा समिति के तत्वावधान में और फरलूंग समाज, आहोम समाज और आहोम सभा के सहयोग से जोनाई के सुकाफा भवन के प्रांगण में कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए 34 वें […]

जोनाई: धेमाजी जिले के जोनाई महकमा में भी आज मे-डाम-मे-फी का आयोजन किया गया। जिसमें ताई आहोम युवा परिषद की जोनाई और पासीघाट महकमा समिति के तत्वावधान में और फरलूंग समाज, आहोम समाज और आहोम सभा के सहयोग से जोनाई के सुकाफा भवन के प्रांगण में कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए 34 वें मे-डाम-मे-फी एक दिवसीय कार्यक्रम के साथ मनाया गया। मे-डाम-मे-फी के उपलक्ष्य पर सर्वप्रथम सुबह वृक्षारोपण कार्यक्रम के बाद झंडा फहराया गया ।

मैदान तर्पण और लाचित बरफुकन के मुर्ति पर माल्यार्पण किया गया। उल्लेखनीय है कि ताई आहोम समुदाय के लोग अपने पूर्वजों को स्मरण कर श्रद्धा सुमन अर्पित करने धार्मिक और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना कर उत्सव- ‘मे-डाम- में- फी’ मनाया जाता है। ताई आहोम समुदाय के लोगों का यह सबसे बड़ा त्यौहार है। प्रति वर्ष 31 जनवरी के दिन ये पर्व ताई आहोम सम्प्रदाय के पारंपरिक रीति -रिवाजों के साथ मनाई जाती है।

‘मे-डाम- में- फी’ ताई अहोम लोगों के अर्थानुसार – ‘मे’ का अर्थ चढ़ावा होता है, ‘डाम’ का अर्थ पूर्वज होता है और ‘फी’ का मतलब भगवान होता है। ‘मे-डाम- में- फी का मतलब बलिदान हुए पुरखों के पुण्य आत्माओं को याद कर श्रद्धा सुमन चढ़ावा भगवन को अर्पित करना है। ताई आहोम समाज मे ‘मे-डाम- में- फी पर्व सामूहिक रूप से मनाई जाती है । ताई आहोम के युवक, युवतियां, प्राचीन असम के प्रथम आहोम राजा चुकाफा की याद में सैन्य भेषभूषा में सज धज कर पारंपरिक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।