राष्ट्रीय

खालिस्तानी गोली न मारें तो अमृतलाल से बहस करने को तैयार: कंगना

बोली- खालिस्तान मसले पर बहस के लिए अमृतपाल सिंह की चुनौती स्वीकार

नई दिल्ली: पंजाब में ‘वारिस पंजाब दे’ (Waris Punjab De) संगठन का प्रमुख और खालिस्तान (Khalistan) समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) इन दिनों विवादों में है। अमृतसर (Amritsar) के अजनाला थाने में हमला किए जाने के बाद अमृतपाल को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस बीच, बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने खालिस्तान मसले पर बहस के लिए अमृतपाल सिंह की चुनौती स्वीकार की है। कंगना ने तंज कसते हुए कहा कि अगर खालिस्तानी मुझे गोली न मारें तो मैं इस मसले पर बहस करने के लिए तैयार हूं।

कंगना ने ट्वीट किया और लिखा-महाभारत में पांडवों ने राजसूय यज्ञ किया था। अर्जुन स्वयं सभी राजाओं से टैक्स लेने के लिए चीन तक गए थे। तब सभी राजाओं ने युधिष्ठिर को विराट भारत का सम्राट घोषित कर दिया। यहां तक कि जो महायुद्ध हुआ उसे भी महाभारत कहा गया। अमृतपाल मुझसे चर्चा कर लें।

कंगना ने ने लिखा-अमृत​​पाल ने देश को खुली चुनौती दी है कि अगर कोई उनके साथ बौद्धिक चर्चा करने के लिए तैयार है तो वो खालिस्तान की मांग को सही ठहरा सकता है। कंगना ने आगे कहा कि अगर मुझे खालिस्तानियों ने पीटा/हमला नहीं किया या गोली नहीं मारी तो मैं तैयार हूं।

इससे पहले कंगना रनौत ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर किया था। जिसमें कंगना ने गैर-खालिस्तानी सिखों को बड़ी सलाह भी दी थी। कंगना ने लिखा-पंजाब में जो कुछ भी हो रहा है, मैंने दो साल पहले इसकी भविष्यवाणी कर दी थी। मुझ पर कई मामले दर्ज किए गए थे। मेरे खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। मेरी कार पर पंजाब में हमला किया गया था, लेकिन वही हुआ ना जो मैने कहा था। लेकिन अब समय आ गया है जब गैर-खालिस्तानी सिख अपनी पोजिशन और इरादों को क्लीयर करें।

…तो खालिस्तान पर चर्चा क्यों नहीं: अमृतपाल ने दी थी चुनौती
अमृतसर के अजनाला थाने में बवाल की घटना के बाद अमृतपाल सिंह ने कहा था-हिंदू राष्ट्र पर डिबेट हो सकती है तो खालिस्तान पर क्यों नहीं। उसने अपनी मंशा के बारे में कहा- पंजाब में हर गांव में युवा नशे की जद में आ गया। जब मैं यहां आया तो मुझसे यह सब नहीं देखा जाता। खालिस्तान कोई टैबू सब्जेक्ट नहीं है। यहां हिंदू राष्ट्र और सोशलिज्म पर डिबेट हो सकती है। डेमोक्रेसी समेत अन्य मसलों पर भी चर्चा हो सकती है तो खालिस्तान पर चर्चा क्यों नहीं। खालिस्तान पर भी बुद्धजीवियों के बीच डिबेट और डिस्कशन होना चाहिए। अगर यहां बुद्धजीवियों के बीच डिस्कशन होता तो हिंसा नहीं होती।