नई दिल्ली: नोएडा का ट्विन टावर गिर चुका है, लेकिन टावर गिरने के बाद असल काम अभी बाकी है। वो है मलबे का निस्तारण, जिसका खर्च भी सुपरटेक ही वहन करेगा।
दरअसल ट्विन टावर गिरने के बाद उसके मलबे को ठिकाने लगाना एक बड़ा टास्क है। मलबे को निपटाने को लेकर एक कार्य योजना बनाई गई है। मलबे के निस्तारण के खर्चे का वहन सुपरटेक बिल्डर को ही करना होगा। नोएडा प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक जल्द ही मलबा निस्तारण का काम शुरू हो जाएगा और मलबा निस्तारण के लिए दो शिफ्टों में काम होगा।
सुपरटेक और एडीफीस के बीच हुए करार के मुताबिक एडीफीस प्लांट तक मलबा पहुंचाएगा और 156 रुपए प्रति टन के हिसाब से 28 हजार टन के करीब 43 लाख 68 हजार रुपए सुपरटेक चुकाएगा। ट्विन टावर के मलबे का निस्तारण सेक्टर-80 सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में जाएगा। ये प्लांट रैमकी कंपनी चला रही है। नोएडा का रोजाना का करीब 250 से 300 टन मलबे का निस्तारण यहीं किया जाता है। अब ये प्लांट दो दिनों में ट्विन टावर के मलबे का निस्तारण करना शुरू कर देगा।
प्राधिकरण के ओएसडी से मिली जानकारी के मुताबिक सुपरटेक और एडीफीस के बीच जो करार हुआ है, उसके तहत ट्विन टावर का मलबा सीएंडी वेस्ट मैनेजमेंट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी एडीफीस की होगी। इसके लिए जो शुल्क लगेगा वो एडिफीस देगा। जबकि सीएंडी वेस्ट प्लांट में जो भी मलबा निस्तारित होगा, उसका प्रति टन के हिसाब से खर्चे का वहन सुपरटेक करेगा।
दरअसल सीएंडी वेस्ट प्लांट में दो प्रोसेसिंग फीस है। पहली यदि मलबा प्लांट कंपनी खुद उठाती है तो प्रोसेसिंग शुल्क 500 रुपए प्रति टन और यदि एडिफीस मलबा पहुंचाती है तो सुपरटेक को सिर्फ 156 रुपए प्रति टन प्रोसेसिंग शुल्क देना होगा, जिसके हिसाब से सुपरटेक को 43 लाख रुपए से ज्यादा चुकाने होंगे।