नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से उद्धव गुट को अभी के लिए राहत नहीं मिली है। चुनाव आयोग के फैसले को कोर्ट ने बरकरार रखा है। यानी कि शिवसेना (Shiv Sena) और धनुष-बाण (Dhanush Ban) दोनों ही शिंदे गुट के पास ही रहने वाले हैं। ये भी कहा गया है कि चुनाव आयोग द्वारा उद्धव गुट को जो टॉर्च और मशाल वाला चुनावी चिन्ह दिया गया था, वही आगे भी जारी रह सकता है। इसके अलावा कोर्ट ने उद्धव और शिंदे गुट को नोटिस भी जारी किया है।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने उद्धव गुट को बड़ा झटका देते हुए शिंदे गुट को ही असल शिवसेना माना था और धनुष-बाण वाला चिह्न भी उन्हीं के पास गया था। उस फैसले को उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती थी, लेकिन अब वहां से भी अभी के लिए कोई राहत नहीं मिली है। चुनाव आयोग के फैसले को बरकरार रखा गया है।
सुनवाई के दौरान उद्धव गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें देते हुए कहा कि 21 जून से पहले पार्टी के अंदर किसी बात को लेकर असहमति या मतभेद नहीं था। असहमति की बात तब पता चलती है, जब ये लोग (शिंदे गुट) असम जाकर बयानबाजी करने लगते हैं। सिब्बल ने सवाल किया कि बागी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, बहुमत का आनंद लेते हैं और फिर पाला बदल लेते हैं। सदन की सदस्यता किसी की निजी संपत्ति नहीं है, जो वह व्यापार करने में लग जाए?
सिब्बल ने यह भी तर्क रखा कि चुनाव आयोग के फैसले का आधार तो ये था कि लेजिस्लेटिव विंग में बहुमत परीक्षा हो सकती है।उस ट्रेंड पर ही कई सवाल हैं। अब इस समय उद्धव गुट के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं। उन्हें नए सिरे से सियासत शुरू करनी है, वो भी बिना शिवसेना के।।सबसे बड़ी परीक्षा बीएमसी चुनाव के रूप में सामने आने वाली है जहां पर लंबे समय तक शिवसेना का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार क्योंकि शिवसेना एकनाथ शिंदे के पास चली गई है, ऐसे में उद्धव को नए सिरे अपनी सियासी बिसात बिछानी होगी।