राष्ट्रीय

नोटबंदी को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया, 58 याचिकाएं की खारिज

केंद्र सरकार को राहत देते हुए कहा-सही प्रक्रिया का हुआ, 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से दिया फैसला

नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में की गई नोटबंदी को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है। इसी के साथ वर्ष 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को अमान्य करने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है। इसी के साथ नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

नोटबंदी को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया, 58 याचिकाएं की खारिज
नोटबंदी के खिलाफ सभी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसकी प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं पाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि RBI के पास विमुद्रीकरण लाने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच परामर्श के बाद ही निर्णय लिया गया।

केंद्र सरकार को राहत देते हुए कहा-सही प्रक्रिया का हुआ, 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से दिया फैसला

न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। यह फैसला न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना द्वारा सुनाया गया। फैसला सर्वसम्मति से हुआ है। पीठ में जस्टिस गवई और नागरत्न के अलावा जस्टिस नजीर, ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन थे।
रिपोर्ट अनमोल कुमार

नोटबंदी को गलत और त्रुतिपूर्ण बताते हुए पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने तर्क दिया था कि सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है, जो केवल RBI के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है।
नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में की गई नोटबंदी को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है। इसी के साथ वर्ष 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को अमान्य करने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है। इसी के साथ नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

7 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था फैसला
नोटबंदी के खिलाफ सभी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसकी प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं पाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि RBI के पास विमुद्रीकरण लाने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच परामर्श के बाद ही निर्णय लिया गया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 के फैसले से संबंधित रिकॉर्ड दें। मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों, पूर्व केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान की दलीलें सुनी गईं थी।

न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया। यह फैसला न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना द्वारा सुनाया गया। फैसला सर्वसम्मति से हुआ है। पीठ में जस्टिस गवई और नागरत्न के अलावा जस्टिस नजीर, ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन थे।

नोटबंदी को गलत और त्रुतिपूर्ण बताते हुए पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने तर्क दिया था कि सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है, जो केवल RBI के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है।

7 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 के फैसले से संबंधित रिकॉर्ड दें। मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों, पूर्व केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान की दलीलें सुनी गईं थी।