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Supreme Court: जजों की नियुक्ति पर दिए कानून मंत्री के बयान से सुप्रीम कोर्ट नाखुश, जानिए क्या कहा…

कॉलेजियम सिस्टम को लेकर लॉ मीनिस्टर मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से की गई टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर केंद्रीय मंत्री की ओर से की गई टिप्पणी पर कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम पर कानून मंत्री की ओर से टीवी पर की गई टिप्पणी को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

नई दिल्लीः कॉलेजियम सिस्टम को लेकर लॉ मीनिस्टर मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से की गई टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर केंद्रीय मंत्री की ओर से की गई टिप्पणी पर कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम पर कानून मंत्री की ओर से टीवी पर की गई टिप्पणी को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने कहा, केंद्रीय मंत्री की ओर से कॉलेजियम प्रणाली पर जो टिप्पणी की वो नहीं होनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी पर अपनी बात रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कई बार मीडिया में जो खबरे चलाई जाती हैं वो गलत भी होती हैं। बता दें कि हाल ही में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलिजियम सिस्टम को एलियन बताया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिशों पर फैसला लेने में सरकारी की ओर से होने वाली देरी पर गहरा दुख जताया। सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर कहा है कि ‘यह पूरे सिस्टम को निराश करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्तियों को लेकर सरकार की ओर से हो रही देरी पर यह टिप्पणी की है। जस्टिस संजय किशन कॉल की अगुवाई वाली डिविजन बेंच ने हैरानी जताते हुए सवाल किया कि क्या सरकार न्यायिक नियुक्ति आयोग के नहीं लागू होने से असंतुष्ट है, जिसके चलते कॉलेजियम की सिफारिशें रोकी हुई हैं।

अदालत ने कहा। ‘मुद्दा है कि नामों को मंजूरी नहीं दी जा रही है। सिस्टम कैसे काम करेगा ? हमने अपनी पीड़ा जताई है। ऐसा लगता है कि सरकार NJAC के नहीं पास किए जाने से खुश नहीं है। क्या नामों को मंजूर नहीं किए जाने का यह कारण हो सकता है?’

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी केंद्रीय कानून मंत्री की ओर से एक टीवी कार्यक्रम में कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना के बाद आई है। उस कार्यक्रम में कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम को भारतीय संविधान के लिए ऐलीअन बताया था, और कहा था कि इसे भारतीय जनता का समर्थन नहीं है। और सरकार से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह सिर्फ कॉलेजियम की ओर से प्रस्तावित नामों पर मुहर लगाए।

मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी। अदालत ने कहा कि ‘आप दोनों पर्याप्त वरिष्ठ हैं, जो बेंच की भावनाओं को सरकार तक पहुंचा सकते हैं। प्लीज मामले को सुलझाइए, हमें न्यायिक तरीके से फैसला लेने के लिए बाध्य मत कीजिए। अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें यह भी बताइए कि बेंच अवमानना नोटिस जारी करने से खुद को रोक रहा है…