नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को 11वीं कक्षा के एक छात्र की याचिका खारिज कर दी, जिसने यह कहते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था कि परीक्षा में प्रश्न गलत थे। अदालत ने कहा कि यह मामला तुच्छ है और कहा कि कुछ लोग शिक्षाविदों के लिए नहीं बने हैं।
बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने छात्र पर फटकार लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा।
याचिका खारिज करते हुए कौल ने कहा, ”यह क्या है? कुछ लोग शिक्षाविदों के लिए नहीं बने हैं। उन्होंने 5 में से 4 पेपर क्लियर नहीं किए हैं। आप परीक्षक के प्रश्न पूछने के तरीके पर सवाल उठाएंगे….और सुप्रीम कोर्ट यह सब सुनेगा?”
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 11वीं कक्षा की परीक्षा दोबारा देने की मांग करने वाली छात्र की याचिका खारिज कर दी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल अप्रैल में एक छात्र की याचिका खारिज कर दी थी जिसमें उसने अनुरोध किया था कि उसे 11वीं कक्षा की अंतिम परीक्षा दोबारा देने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) का नियम दोबारा परीक्षा देने की अनुमति नहीं देता है।
छात्र की दादी की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि लड़का मेधावी छात्र था लेकिन परीक्षा से पहले बीमार पड़ गया। इसलिए, वह पढ़ाई नहीं कर सके और 11वीं कक्षा में 42 प्रतिशत अंक हासिल किए।
याचिका में अदालत से यह भी अनुरोध किया गया कि छात्र की 11वीं कक्षा की मार्कशीट से कम हाजिरी के निशान भी हटा दिए जाएं।
स्कूल के वकील ने कहा कि सीबीएसई नियम इसकी अनुमति नहीं देते हैं और छात्र को कक्षा 11 में रोक दिया गया था क्योंकि स्कूल सत्र के टर्म 1 के बाद से उसके अंक काफी कम थे। स्कूल ने यह भी कहा कि छात्र के माता-पिता को भी उसके कम प्रदर्शन के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन साल भर में इसमें सुधार नहीं हुआ।
न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कहा था कि छात्र के खराब प्रदर्शन पर विचार किया जाना चाहिए और उसे 11वीं कक्षा की परीक्षा देने की सलाह दी गई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)