नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारों और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि ईडी को गिरफ्तारी का अधिकार है। अदालत ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है, ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट में कोई खामी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और PMLA को लेकर दायर 240 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। अदालत ने कहा कि 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट में जो बदलाव किए गए थे, वह सही हैं। यही नहीं कोर्ट ने कहा कि एजेंसी की ओर से गिरफ्तारी करने और आरोपियों से पूछताछ करने में कुछ भी गलत नहीं है।
दूसरी एजेंसियों के बंद केस में भी ED को ऐक्शन का हक
याचिकाकर्ताओं की एक और मांग पर अदालत ने कहा कि ED ने कोई शिकायत दर्ज की है तो उसकी कॉपी आरोपी को देना जरूरी नहीं है। इसके अलावा CBI या अन्य किसी एजेंसी की ओर से बंद किए गए मामले को भी ED अपने हाथ में लेकर जांच कर सकती है।
इसके अलावा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट में मनी बिल के तहत बदलाव किए जाने के सवाल को अदालत ने 7 जजों की बेंच के सामने भेजने का फैसला लिया है। दायर की गई याचिकाओं में ED की ओर से रेड, गिरफ्तारी के अधिकारी, संपत्ति को जब्च करने और बेल की कठिन शर्तों पर विचार करने की अपील की गई थी।
गिरफ्तारी मनमानी नहीं
जस्टिस ए.एम खानविल्कर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि ED की ओर से गिरफ्तारी किया जाना मनमानी नहीं है। अदालत ने ED ओर से संपत्ति जब्त करने को सही करार देते हुए कहा कि गलत ढंग से पैसा कमाने वाले लोग इसका इस्तेमाल न कर सकें। इसलिए ऐसा अधिकार ED के पास है। जमानत की दो कड़ी शर्तों को भी सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है।
मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत आरोपी को दो शर्तों पर ही बेल मिलती है। ये शर्तें हैं कि मामले में दोषी न होने के समर्थन में कुछ सबूत मिलें और यह भरोसा हो कि आरोपी निकलने के बाद कोई दूसरा अपराध नहीं करेगा।
ECIR की कॉपी देना जरूरी नहीं
ED की ओर से दर्ज की जाने वाली रिपोर्ट एन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट को लेकर भी अदालत ने अहम फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह ED का आंतरिक दस्तावेज है और उसे आरोपी को दिया जाना जरूरी नहीं है।
अदालत ने कहा कि शुरुआती दौर में ED की ओर से आरोपी को गिरफ्तारी का आधार बताना काफी होगा। कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम समेत कई लोगों की ओर से दायर याचिका में ED के अधिकारों और PMLA में बदलाव को चुनौती देते हुए कहा था कि इनके जरिए संवैधाानिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।
इस पर केंद्र सरकार ने जवाब देते हुए कहा था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत जिन करारों का हिस्सा है, उसके तहत यह कार्रवाई जरूरी है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग से निपटा जा सके।