नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तालिबान (Taliban) से तुलना करने पर शिवसेना (Shiv Sena) ने जावेद अख्तर (Javed Akhtar) पर हमला बोल दिया है। शिवसेना, जो अक्सर भाजपा (BJP) का विरोध करती है, ने इस मुद्दे पर उसका पक्ष लिया है, जिसने जावेद अख्तर से अपनी टिप्पणी के लिए माफी की मांग की है। शिवसेना ने संघ और विहिप (VHP) की तालिबान से तुलना को हिंदू संस्कृति का अपमान बताया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, ‘‘आज कुछ लोग तालिबान की तुलना संघ और विहिप से करने लगे हैं। तालिबान समाज और मानवता के लिए एक बड़ा खतरा है। चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) जैसे देश इसका समर्थन कर रहे हैं, जो लोकतांत्रिक नहीं हैं। इन देशों में मानवाधिकारों के लिए कोई जगह नहीं है।’’
शिवसेना ने आगे कहा, ‘‘हम एक लोकतांत्रिक देश हैं, जहां लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है। लेकिन आरएसएस की तालिबान से तुलना करना गलत है। भारत अन्य देशों की तुलना में हर तरह से सहिष्णु है।’’ सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि आरएसएस, विहिप जैसे संगठनों के लिए हिंदुत्व एक संस्कृति है। शिवसेना ने कहा, ‘‘आरएसएस और विहिप चाहते हैं कि हिंदुओं के अधिकारों का दमन न किया जाए। इसके अलावा उन्होंने कभी भी महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंध नहीं लगाया। अफगानिस्तान की स्थिति बहुत खराब और नारकीय है। वहां से लोग डर के मारे भाग रहे हैं और महिलाओं के अधिकार छीने जा रहे हैं।’’
हालांकि अखबार ने जावेद अख्तर को मुखर व्यक्ति बताया है, जो मुस्लिम समाज के चरमपंथियों के खिलाफ भी बोलते रहे हैं। लेकिन संघ की तालिबान से तुलना को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारे देश में ज्यादातर लोग धर्मनिरपेक्ष हैं और हम तालिबान की विचारधारा को स्वीकार नहीं करेंगे। बहुसंख्यक हिंदू होने के बावजूद यह देश धर्मनिरपेक्ष है।
शुक्रवार को एनडीटीवी से बातचीत में जावेद अख्तर ने आरएसएस और वीएचपी की तुलना तालिबान से की। अख्तर ने कहा था, ‘‘जैसे तालिबान इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता है। इसी तरह यहां कुछ लोग हैं जो हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। इन लोगों की भी यही मानसिकता है। चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, ईसाई हो या यहूदी। तालिबान जो कर रहा है वह बर्बर है, लेकिन आरएसएस, विहिप और बजरंग दल का समर्थन करने वाले भी ऐसा ही कर रहे हैं।’’
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