राष्ट्रीय

शरद पवार का विपक्ष को एक और झटका, बोले- पीएम की डिग्री कोई मुद्दा नहीं

अडानी पर जेपीसी ठुकराने के बाद अब एनसीपी चीफ ने फिर दिया विपक्षी एकता की मुहिम को बड़ी चोट

नई दिल्ली: गौतम अडानी (Gautam Adani) मुद्दे पर एकजुट हुए विपक्षी दलों को झटका देने के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार (Sharad Pawar)ने अब पीएम मोदी की डिग्री के मुद्दे पर बड़ा बयान देकर विपक्ष के एक और मुद्दे की हवा निकाल दी है। दरअसल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal), उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सहित विपक्ष के कई नेता प्रधानमंत्री की डिग्री पर लगातार सवाल खड़े कर रहें है। रविवार को महाराष्ट्र के नासिक में जब शरद पवार से प्रधानमंत्री के डिग्री विवाद पर सवाल पूछा गया तो पवार ने साफ कहा कि पीएम की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी इन दिनों पीएम मोदी की डिग्री को मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमलावर है। आप ने रविवार को ही ‘डिग्री दिखाओ कैंपेन’ शुरू किया जिसके तहत पार्टी के नेता हर दिन लोगों के सामने जाकर अपनी शैक्षिक योग्यता साझा करेंगे। ऐसे में पवार का के बयान को आप की इस मुहिम के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है।

इससे पहले पवार ने अडानी मसले पर JPC की मांग को झटका देते हुए कहा था कि ये निष्पक्ष नहीं होगा, क्योंकि 21 में 15 सदस्य सत्ता पक्ष के होंगे। पवार के इस बयान पर विपक्ष में हलचल तेज हो गई थी।

दरअसल, मीडिया से बात करते हुए पवार ने कहा कि आज देश के सामने डिग्री का सवाल है क्या? आपकी डिग्री क्या है, मेरी डिग्री क्या है, क्या ये राजनीतिक मुद्दा है? बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महंगाई ऐसे कई सवाल हैं और इन मुद्दों पर केंद्र सरकार पर हमला करना ही चाहिए। आज धर्म जाति के नाम पर लोगों में दूरियां पैदा की जा रही हैं, आज महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो गईं, इसपर चर्चा जरूरी है।

उधर, एनसीपी नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार भी पीएम की डिग्री को मुद्दे को बेबुनियाद करार दे चुके हैं। अजीत पवार ने कहा था कि जहां तक ​​राजनीति में शिक्षा का संबंध है, इसे बहुत महत्व नहीं माना जाता है। महाराष्ट्र में चार ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो वसंतदादा पाटिल की तरह ज्यादा शिक्षित नहीं थे लेकिन यह प्रशासन कौशल सबसे अच्छा था।

अजीत पवार ने माना था पीएम मोदी का करिश्मा
पीएम मोदी की डिग्री विवाद और वीर सावरकर के मुद्दे पर राकांपा के अलग-अलग रुख के बारे में पूछे जाने पर अजीत पवार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि मोदी के नाम के तहत जिस पार्टी के पास केवल दो सांसद थे, वह 2014 में पूर्ण जनादेश के साथ आई थी और दूर-दराज के इलाकों में पहुंचे। तो क्या यह मोदी का करिश्मा नहीं है? 2014 में पूर्ण बहुमत से जीतने के बाद उनके खिलाफ कई बयान दिए गए। उन्हें लोकप्रियता मिली और उनके नेतृत्व में विभिन्न राज्यों में केवल बीजेपी ही जीती और 2019 में भी यही चुनाव दोहराया गया। तो फिर इन सभी मुद्दों को बाहर निकालने का क्या फायदा?