नई दिल्ली: आयकर विभाग ने 17 फरवरी, 2021 को संगमनेर, पुणे स्थित एक समूह के महाराष्ट्र में 34 विभिन्न ठिकानों पर तलाशी और जब्ती कार्रवाई की। समूह की इकाइयां मुख्य रूप से तंबाकू और संबंधित उत्पादों की पैकेजिंग व बिक्री, बिजली उत्पादन और वितरण, एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री और रियल एस्टेट का कारोबार करतीं हैं।
तलाशी अभियान के दौरान, हाथ से लिखे और कंप्यूटर की एक्सेल शीट से तंबाकू की बिक्री से संबंधित बिना हिसाब के 243 करोड़ रुपये के नकदी लेनदेन का पता चला। इसके अलावा, तम्बाकू उत्पादों के कुछ डीलरों पर कार्रवाई से उनके द्वारा बिना हिसाब के लगभग 40 करोड़ रुपये की बिक्री का भी पता चला।
समूह अचल संपत्ति से संबंधित लेनदेन में पंजीकरण मूल्य से अधिक धनराशि का नकद में भुगतान कर रहा है और भुगतान स्वीकार भी कर रहा है। इस संबंध में 18 करोड़ रुपये के लेन-देन के साक्ष्य मिले हैं। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 50 सी के उल्लंघन से संबंधित मामलों की भी जानकारी मिली है, जिनका मूल्य 23 करोड़ रुपये है।
तलाशी अभियान के दौरान, अचल संपत्ति की बिना हिसाब के बिक्री से हुए 9 करोड़ रुपये के लाभ को निर्धारिती द्वारा स्वीकार किया गया है। एक करोड़ रुपये की बिना हिसाब की नकदी जब्त की गयी। अब तक 335 करोड़ रुपये की कुल अघोषित आय का पता चला है।
आयकर विभाग द्वारा भोपाल में तलाशी
आयकर विभाग ने 18 फरवरी, 2021 को बेतुल के सोया उत्पाद निर्माता समूह के 22 परिसरों में तलाशी और जब्ती अभियान चलाया। यह अभियान मध्य प्रदेश के बेतुल तथा सतना, महाराष्ट्र के मुम्बई तथा सोलापुर और कोलकाता में चलाया गया।
तलाशी अभियान के दौरान आठ हजार करोड़ रुपए से अधिक की नकदी तथा 44 लाख से अधिक मूल्य की विभिन्न देशों की करेंसी जब्त की गई। तलाशी के दौरान नौ बैंक लॉकर भी पाए गए।
इस ग्रुप ने कोलकाता की शेल कंपनियों से ऊंचे प्रीमियम पर पेपर निवेश बिक्री माध्यम से 259 करोड़ रुपए की शेयर पूंजी ली।
ग्रुप ने अपने खाते में 90 करोड़ रुपए की अघोषित आय दिखाई है जो कोलकाता की अनेक शेल कंपनियों की कागजी निवेश बिक्री से प्राप्त हुई। बताए गए पते पर कोई भी कंपनी नहीं मिली और ग्रुप ने ऐसी कागजी कंपनियों और उनके निदेशकों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इनमें से अनेक कंपनियां कॉर्पोरेट कार्यालय मंत्रालय द्वारा सूची से हटा दी गई हैं।
तलाशी के दौरान यह देखा गया कि 52 करोड़ रुपए का फर्जी घाटा दिखाया गया है ताकि लाभ को दबाया जा सके। ऐसा इंट्रा ग्रुप आउट ऑफ एक्सचेंज कांट्रेक्ट सेटलमेंट में शामिल होकर किया गया है। अनेक कंपनियां कारोबार चलाने के लिए कर्मचारियों के नाम पर बनाई गई जबकि इन कंपनियों के बीच कोई वास्तविक कारोबार ही नहीं किया गया। इन कंपनियों के निदेशक ऐसे कारोबार की जानकारी नहीं रखते थे। ग्रुप ने 27 करोड़ से अधिक रुपए का गलत दीर्घकालिक पूंजी लाभ छूट का दावा ग्रुप कंपनी के शेयरों की बिक्री के आधार पर किया है। जांच में पता चला है कि इन शेयरों की खरीद सही नहीं थी क्योंकि ग्रुप के निदेशकों ने कोलकाता स्थित बिना अस्तित्व वाली शेल कंपनियों से कम भाव पर कंपनी के शेयर को खरीदा। चैट सहित विभिन्न तरह के साक्ष्य दिखाते हैं कि अस्पष्ट नकद भुगतान और 15 करोड़ से अधिक रुपए का हवाला कारोबार किया गया।
लैपटॉप हार्ड ड्राइव्स, पेन ड्राइव जैसे संदिग्ध दस्तावेज पाए गए और जब्त किए गए। अब तक की जांच से 450 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता चला है। जांच जारी है।
आगे की जांच चल रही है।
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