नई दिल्लीः 14 फरवरी, 2019 को, जम्मू-श्रीनगर (Jammu-Srinagar) राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) पर भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले वाहनों के काफिले पर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा (Pulwama) जिले के लेथपोरा (अवंतीपोरा (Avantipora) के पास) में एक वाहन में आत्मघाती हमलावर (suicide bomber) ने हमला कर दिया था। यह हमला 1989 के बाद से कश्मीर (Kashmir) में भारत (India) के सुरक्षाकर्मियों (Security personnel) पर सबसे घातक आतंकवादी हमला (Deadly terrorist attack) था। पुलवामा में आतंकी हमले की दूसरी बरसी है, जिसमें 76वीं बटालियन के 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए थे।
आत्मघाती हमलावर की पहचान आदिल अहमद डार (Adil Ahmed Dar) के रूप में की गई, जो पुलवामा जिले का एक स्थानीय कश्मीरी युवक (Local kashmiri youth) था। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान (Pakistan) स्थित इस्लामिक आतंकवादी समूह (Islamic terrorist group) जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) ने ली थी।
संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, सऊदी अरब, श्रीलंका और बांग्लादेश सहित दुनिया भर के देशों ने क्रूर पुलवामा आतंकवादी हमले की निंदा की है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को अपना समर्थन दिया है।
दूसरी तरफ, एनडीटीवी द्वारा आतंकवादी हमले को फर्जी बताया जा रहा था। इस कारण से, प्रचार समाचार नेटवर्क द्वारा उन्हें कुछ हफ्तों के लिए निलंबित कर दिया गया था। उसने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘जहां 44 से अधिक महान 56 साबित हुआ है।’’ इसके साथ, उन्होंने फिल्म ‘उरी’ के प्रसिद्ध डायलॉग ‘हाउज द जोश’ पर आधारित हैशटैग रुभ्वूेजीमश्रंपेी भी जोड़ा। पाकिस्तान ने भी भारतीय मीडिया पर भरोसा किया और यहां तक कि बुद्धिजीवियों ने उदारवादी हलकों में इसे प्रचारित किया, जिसमें कहा गया कि पुलवामा आतंकी हमला एक झूठा अभियान था।
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