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पीएम मोदी ने नामीबिया से लाए चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर आज देश को स्पेशल गिफ्ट दिया है। नामीबिया से विशेष विमान से भारत लाए गए आठ चीतों को प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के स्पेशल बाड़े में छोड़ दिया है। चीतों को 30 दिनों तक विशेष बाड़े में ही रखा जाएगा। इस दौरान उनकी सेहत पर नजर रखी जाएगी। इसके बाद इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा। इस मौके पर उनके साथ मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।

श्योपुर :आज की तारीख हिंदुस्तान के लिए ऐतिहासिक हैं, क्योंकि 70 सालों के बाद रफ्तार के किंग यानि चीता की की देश में एंट्री हुई है। इसी के साथ एक बार फिर से देश में चीता युग की शुरुआत कर दी है।

चीतों को छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री ने कैमरे से उनकी तस्वीरें ली, इसके बाद उन्होंने चीता मित्रों के साथ संवाद किया। इस दौरान उनका एक वीडियो संदेश प्रसारित हुआ, जिसमें उन्होंने ने कहा कि चीते हमारे मेहमान हैं, उनको देखने के लिए कुछ समय का धैर्य और रखना होगा।

इन चीतों को नामीबिया से विशेष विमान से ग्वालियर लाया गया था और वहां से चीनूक हेलिकाप्टर के द्वारा कूनो पहुंचाया गया। 75 साल पहले वर्ष 1947 में देश में आखिरी बार चीता देखा गया था। छत्तीसगढ़ में कोरिया के महाराजा ने तीन चीता शावकों का एक साथ शिकार किया था। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था। इसके बाद आज देश में फिर से चीतों की वापसी हुई है।

यहां चीते इसलिए छोड़े क्योंकि आप पे है भरोसा
प्रधानमंत्री मोदी ने कराहल में स्व-सहायता समूह के कार्यक्रम में कहा कि मुझे आज इस बात की भी खुशी है कि भारत की धरती पर अब 75 साल बाद चीता फिर से लौट आया है। अब से कुछ देर पहले मुझे कुनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ने का सौभाग्य मिला। उन्होंने सभी से चीतों के स्वागत में उठकल ताली बजाने का आग्रह किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि यहां चीतों को इसलिए छोड़ा गया है कि क्योंकि मुझे आप पर भरोसा है कि आप इन पर कोई खतरा नहीं आने देंगे। उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा जयंती पर स्वयं सहायता समूहों का इतना बड़ा सम्मेलन, अपने आप में बहुत विशेष है। मैं आप सभी को, सभी देशवासियों को विश्वकर्मा पूजा की भी शुभकामनाएं देता हूं।

नए भारत में नारीशक्ति का परचम लहरा रहा
पीएम मोदी ने कहा कि पिछली शताब्दी के भारत और इस शताब्दी के नए भारत में एक बहुत बड़ा अंतर हमारी नारी शक्ति के प्रतिनिधित्व के रूप में आया है। आज के नए भारत में पंचायत भवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक नारीशक्ति का परचम लहरा रहा है।