नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले को लेकर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले पर गठित समिति की रिपोर्ट की जांच की। इस दौरान कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि रिपोर्ट पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन के लिए नहीं है…कोर्ट ने इसे गोपनीय बताया।
टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 29 फोन समिति को दिए गए थे और उन्हें कुछ मैलवेयर मिले हैं। इन 29 में से 5 फोन में से कुछ मैलवेयर थे। हालांकि, यह साफ नहीं हुआ है कि इस मैलवेयर वायरस के पीछे का कारण पेगासस है या नहीं।
दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच कर रही टेक्निकल कमेटी को मई में 4 हफ्तों का समय दिया था। जिसमें उन्हें इस सुनवाई में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था। कोर्ट ने इस दौरान यह भी बताया कि रिपोर्ट तीन भागों में पेश की जाती है।
दो रिपोर्ट टेक्निकल कमेटी की और एक रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन द्वारा देखरेख समिति की। इस रिपोर्ट में टेक्निकल कमेटी को यह बताना था कि क्या लोगों के फोन या किसी अन्य डिवाइस में जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाईवेयर डाला गया था। इसके लिए 29 फोन समिति को दिए गए थे, जिनमें से 5 फोन में मैलवेयर वायरस मिला है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि इस वायरस के पीछे का कारण क्या है।
बता दें कि पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर का नाम है। जासूसी सॉफ्टवेयर होने की वजह से इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 300 भारतीय पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये जासूसी के निशाने पर थे, जिनमें भारत के राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को।
अहम तौर पर निशाना बनाया गया था।