नई दिल्ली: विपक्ष के कई प्रमुख नेताओं ने भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता (opposition solidarity) की पैरवी करते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सभी विपक्षी दलों को अपने अहम को छोड़कर साथ आना होगा। द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा स्थापित संगठन आल इंडिया फेडरेशन फार सोशल जस्टिस (एआइएफएसजे) द्वारा आयोजित सम्मेलन में भाग लेने वाले विपक्षी नेताओं ने कहा कि देश में जातीय जनगणना (caste census) होनी चाहिए।
इस सम्मेलन को अधिकतर नेताओं ने डिजिटल माध्यम से संबोधित किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने कहा कि तमाम मुख्यमंत्रियों से आग्रह करूंगा कि वे जातीय जनगणना के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहा कि हाल के समय में रामनवमी पर जो हिंसक घटनाएं हुई हैं, उनको देखकर लगता है कि यह सब सुनियोजित षड्यंत्र है।
बिहार के उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि जब तक आरएसएस की विचाराधारा वालों को सत्ता से नहीं हटाया जाएगा, तब तक पिछड़ों को न्याय नहीं मिलेगा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आज शोषणकारी व्यवस्था की समाप्ति के लिए परस्पर विचार-विमर्श और संघर्ष की आवश्यकता है। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने जातीय जनगणना की मांग की।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि जातीय जनगणना होनी चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि दो तीन राजनीतिक दल हैं, जो भाजपा से नहीं लड़ना चाहते। नेशनल काफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने भी विपक्षी की एकजुटता की पैरवी की। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी ने कहा कि अल्पसंख्यकों के साथ जो व्यवहार हो रहा है, उसे नहीं रोका गया तो सामाजिक न्याय का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।