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अयोग्य सांसदों के चुनाव लड़ने पर केंद्र ही निर्णय ले सकता है: चुनाव आयोग

उपचुनाव लड़ने से रोकने के लिए आयोग की कोई भूमिका नहीं

नई दिल्ली: चुनाव आयोग (Election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए सांसदों को सदन की उसी अवधि के दौरान उपचुनाव लड़ने से रोकने के लिए निर्वाचन आयोग की कोई भूमिका नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा दायर की गई याचिका पर केंद्र सरकार ही किसी प्रकार की निर्णय ले सकती है।

चुनाव आयोग ने कहा कि याचिका में शामिल मुद्दा संविधान के अनुच्छेद 191 (1) (ई) से संबंधित है। आयोग ने बताया कि वर्तमान याचिका उन मामलों से संबंधित है, जिनका अनुच्छेद 32 के तहत आयोग के कार्यक्षेत्र के संदर्भ में चुनाव के संचालन से कोई संबंध नहीं है और केंद्र सरकार इस मामले में की गई प्रार्थनाओं पर फैसला लेने के लिए उपयुक्त है।

बता दें कि कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि राजनीतिक दलों द्वारा राजनीतिक दोष के आधार पर अयोग्यता पर संविधान के 10वें अनुसूची के प्रावधान को निरर्थक और बेकार बनाने के लिए एक ठोस अखिल भारतीय प्रयास किया गया है।

याचिका में कहा गया था कि 10वीं अनुसूची के तहत सदन का सदस्य एक बार अयोग्य हो जाता है, तो उसे उस अवधि के दौरान फिर से चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जिसके लिए वह निर्वाचित हुआ था।