नई दिल्ली: UPI ने ऑनलाइन पेमेंट को जिस तरह बदल कर रख दिया है, उसी तरह मोदी सरकार भारत में ऑनलाइन ई-काॅमर्स (Online E-Commerce) की दुनिया में एक ऐसा प्लेटफाॅर्म लाने की कोशिश में है, जिससे बड़ी संख्या में छोटे खुदरा विक्रेताओं को लाभ मिल सके और अमेजन (Amazon) और वाॅलमार्ट (Walmart) जैसी कंपनियों पर भी अंकुश लगाई जा सके। इसके तहत सरकार ने 5 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू कर दिया है।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को 5 शहरों में डिजिटल कॉमर्स के लिए खुले नेटवर्क (ONDC) का पायलट चरण शुरू किया। ONDC एक यूपीआई की तरह प्रोटोकॉल है और इसका मकसद तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र को दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना, छोटे खुदरा विक्रेताओं की मदद करना और दिग्गज ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के वर्चस्व को कम करना है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट में कहा कि यूपीआई के बाद, बाजार को लोकतांत्रिक बनाने के लिए एक और आमूलचूल बदलाव के विचार ONDC को आज चुनिंदा उपभोक्ताओं, विक्रेताओं और लॉजिस्टिक प्रदाताओं के लिए शुरू किया गया। अब लोग विकल्प, सुविधा और पारदर्शिता की दुनिया के लिए तैयार हो जाएं।
इन 5 शहरों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू
पायलट चरण में पांच शहरों दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में 150 खुदरा विक्रेताओं को जोड़ने का लक्ष्य है। इस पहल का उद्देश्य दो बड़ी बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों (Amazon और Flipkart) के प्रभुत्व पर अंकुश लगाना है। वर्तमान में ये कंपनियां देश के आधे से अधिक ई-कॉमर्स व्यापार को नियंत्रित करती हैं, बाजार तक पहुंच को सीमित करती हैं, कुछ विक्रेताओं को तरजीह देती हैं और आपूर्तिकर्ताओं के मार्जिन को कम करती हैं।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने इस बारे में ब्योरा देते हुए कहा कि ONDC मानकों का एक समूह है, जिसे विक्रेता या लॉजिस्टिक प्रदाता या भुगतान गेटवे स्वैच्छिक रूप से अपना सकते हैं। इस समय 80 फर्में ONDC के साथ काम कर रही हैं और वे एकीकरण के विभिन्न चरणों में हैं। ये कंपनियां विक्रेता, खरीदार, लॉजिस्टिक या पेमेंट गेटवे के लिए अपने ऐप बना रही हैं।