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बड़ा खुलासाः न तो डायबिटीज, न ही कोरोना, फिर भी ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे लोग

नई दिल्लीः भारत में कोरोना वायरस ने तबाही मचा रखी है, लेकिन अब धीरे-धीरे इसका असर कम होता जा रहा है। लेकिन, एक और मुसीबत सामने आ रही है, कोरोना वायरस के कहर से निकलने के बाद कई मरीज म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। ये नई बीमारी डाॅक्टरों और मरीजों […]

नई दिल्लीः भारत में कोरोना वायरस ने तबाही मचा रखी है, लेकिन अब धीरे-धीरे इसका असर कम होता जा रहा है। लेकिन, एक और मुसीबत सामने आ रही है, कोरोना वायरस के कहर से निकलने के बाद कई मरीज म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। ये नई बीमारी डाॅक्टरों और मरीजों के लिए सिर दर्द बनी हुई है। इसके साथ ही इस बीमारी को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। अब तक कहा जाता था कि मधुमेह और कोरोना संक्रमित लोगों में ब्लैक फंगस फैल रहा है, लेकिन हरियाणा में अब तक ब्लैक फंगस के मामलों का अध्ययन करने पर यह गलत साबित हुआ है। पंजाब से भी कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें लोग कोरोना से पीड़ित नहीं थे, फिर भी उन्हें ये बीमारी हो गई।

हरियाणा में हुए अध्ययन ने इस बात से भी इंकार किया कि जो लोग मधुमेह (शर्करा के रोगी) हैं, उनके लिए ब्लैक फंगस तेजी से फैलता है। राज्य में लगभग 143 ब्लैक फंगस मरीज ऐसे हैं जिन्हें मधुमेह नहीं था और वे कोरोना से संक्रमित नहीं थे। पंजाब से भी जो खबरें आ रही वो अधिक डराने वाली हैं। दरअसल, पंजाब में ब्लैक फंगस के 158 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं। लेकिन डराने वाली बात ये है कि इनमें से 32 मरीज ऐसे हैं जिन्हें कभी भी कोरोना नहीं हुआ था। इस बात से लोगों और प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।

हरियाणा में 454 मामलों में से 413 की स्टडी पर खुलासा
जो लोग कोरोना के इलाज के दौरान ऑक्सीजन पर रहे हैं या दवाओं के रूप में स्टेरॉयड दिए गए हैं, उनमें भी ब्लैक फंगस फैलने का खतरा अधिक होता है, लेकिन हरियाणा में अब तक सामने आए मामलों में यह धारणा गलत साबित हुई है। हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बताया कि राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के 454 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 413 की केस स्टडी की गई है।

विज ने कहा कि इन मरीजों का राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में इलाज चल रहा है। इलाज कर रहे चिकित्सकों से ली गई रिपोर्ट के अनुसार काफी चैंकाने वाली जानकारी सामने आई है। हरियाणा में ब्लैक फंगस के 64 मरीज मिले हैं, जिन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ। मेडिकल कॉलेजों में 79 मरीज इलाज के लिए आए हैं, जिन्हें कभी शुगर नहीं हुआ है यानी वे डायबिटीज के मरीज नहीं हैं। 110 मामले ऐसे हैं, जिन्हें किसी न किसी बीमारी के इलाज के लिए बड़ी मात्रा में स्टेरॉयड दिए गए।

ब्लैक फंगस के असली कारण का पता लगाने में जुटी हरियाणा सरकार
इसके अलावा एक चैंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान मरीजों पर लगाए गए ब्लैक फंगस का कारण ऑक्सीजन नहीं है। राज्य में 213 मामले ऐसे हैं, जो ब्लैक फंगस से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें कभी भी किसी बीमारी के इलाज के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट पर नहीं रखा गया।

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों की इस स्टडी रिपोर्ट पर न सिर्फ हैरानी जताई बल्कि लोगों की भ्रांतियों और उनके मन में उठने वाले सवालों के जवाब खोजने की जरूरत पर भी बल दिया। अभी तक ब्लैक फंगस की बीमारी कोरोना संक्रमण से या फिर कोरोना संक्रमित मरीजों में मानी जाती है। इसमें आंखें लाल हो जाती हैं, मुंह और जबड़ा सूज जाता है, ऑपरेशन न करने की स्थिति में फंगस मस्तिष्क और फेफड़ों तक पहुंच जाता है और नुकसान होने का खतरा रहता है।

विज ने कहा कि ब्लैक फंगस के फैलने का वास्तविक कारण क्या हो सकता है, इस पर और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है। यह काम राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए, लेकिन इस दिशा में हरियाणा के डॉक्टर भी काम करेंगे।

वैकल्पिक दवाओं को लेकर अभी भी असमंजस
ब्लैक फंगस की वैकल्पिक दवाओं को लेकर राज्य में असमंजस की स्थिति है। ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की भारी कमी के कारण, मंत्री ने रोहतक पीजीआई के डॉक्टरों की एक टीम को वैकल्पिक दवाओं का सुझाव देने के लिए कहा था। इस टीम का गठन ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉ. आदित्य भार्गव के नेतृत्व में किया गया था। टीम अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है, जिसके चलते अभी तक मंत्री को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी जा सकी है.

हालांकि, इस टीम का कहना है कि एम्फेटोरेसिन-बी इंजेक्शन के अभाव में इसावकोनाजोल और पॉसकोनाजोल इंजेक्शन और दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। बाजार में इन दवाओं की भी कमी है। यह दृढ़ता से दावा नहीं किया जा सकता है कि दोनों वैकल्पिक दवाओं के परिणाम कितने अच्छे होंगे। अनिल विज ने रोहतक पीजीआई के निदेशक समेत डॉक्टरों से यह अध्ययन करने को कहा है कि ब्लैक फंगस के और क्या कारण हो सकते हैं। हमारे पास ब्लैक फंगस को खत्म करने की क्षमता है। इसके लिए हरियाणा सरकार तैयार है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।

छूने से नहीं फैलता ब्लैक फंगस 
इंडिया टुडे की खबर के अनुसार ब्लैक फंगस के लिए पंजाब में नोडल अधिकारी बनाए गए डॉ. गगनदीप सिंह कहते हैं कि जिस भी व्यक्ति की इम्युनिटी कमजोर है, उसे ये बीमारी होने का खतरा है। वो बताते हैं, ‘‘ब्लैक फंगस छूने से नहीं फैलता है और अगर समय पर इसकी पहचान कर ली जाए तो इसका इलाज संभव है। कोई भी व्यक्ति जिसे किसी बीमारी के इलाज के दौरान ज्यादा स्टेरॉयड दिए गए हैं, वो ब्लैक फंगस का शिकार बन सकता है।’’ बता दें कि पंजाब में 19 मई को एपिडेमिक डिसीज एक्ट के तहत म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया था 

क्या होता है ब्लैक फंगस?
म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का काफी दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। इसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई के आंखों की रौशनी चली जाती है वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है। यह मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जो स्वास्थ्य समस्याओं के लिए दवा पर हैं जो पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की उनकी क्षमता को कम करता है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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