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Farmers Right: किसानों की बड़ी जीत, भारत ने पेप्सीको लेज आलू के पेटेंट को किया रद्द

नई दिल्लीः 2019 में, पेप्सिको ने पश्चिमी राज्य गुजरात में स्थित कुछ भारतीय किसानों पर FC5 आलू की किस्म की खेती के लिए मुकदमा दायर किया, जिसमें आलू के चिप्स जैसे स्नैक्स बनाने के लिए नमी की मात्रा कम होती है। उसी वर्ष मुकदमों को वापस लेते हुए, न्यूयॉर्क स्थित कंपनी ने कहा कि वह […]

नई दिल्लीः 2019 में, पेप्सिको ने पश्चिमी राज्य गुजरात में स्थित कुछ भारतीय किसानों पर FC5 आलू की किस्म की खेती के लिए मुकदमा दायर किया, जिसमें आलू के चिप्स जैसे स्नैक्स बनाने के लिए नमी की मात्रा कम होती है। उसी वर्ष मुकदमों को वापस लेते हुए, न्यूयॉर्क स्थित कंपनी ने कहा कि वह इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहती है।

बाद में, किसान अधिकार कार्यकर्ता कविता कुरुगंती ने पेप्सिको की FC5 आलू की किस्म को दी गई बौद्धिक सुरक्षा को रद्द करने के लिए पीपीवीएफआर प्राधिकरण में याचिका दायर की और कहा कि भारत के नियम बीज किस्मों पर पेटेंट की अनुमति नहीं देते हैं। पीपीवीएफआर प्राधिकरण कुरुगंती के इस तर्क से सहमत था कि पेप्सी एक बीज किस्म पर पेटेंट का दावा नहीं कर सकता।

पीपीवीएफआर प्राधिकरण के अध्यक्ष के वी प्रभु ने रॉयटर्स द्वारा देखे गए आदेश में कहा, ‘‘पंजीकरण का प्रमाण पत्र एतद्द्वारा तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है।’’

पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम पीपीवीएफआर प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश से अवगत हैं और इसकी समीक्षा करने की प्रक्रिया में हैं।’’

पेप्सिको ने कहा है कि उसने आलू की FC5 किस्म विकसित की है, और 2016 में इस विशेषता को पंजीकृत किया है।

कंपनी, जिसने 1989 में भारत में अपना पहला आलू चिप्स संयंत्र स्थापित किया, किसानों के एक समूह को FC5 बीज किस्म की आपूर्ति करती है, जो बदले में कंपनी को एक निश्चित मूल्य पर अपनी उपज बेचते हैं।

पीपीवीएफआर प्राधिकरण के फैसले की सराहना करते हुए गुजरात के आलू किसानों ने इसे उत्पादकों की जीत बताया।

2019 में पेप्सी द्वारा मुकदमा दायर करने वाले गुजरात के किसानों में से एक बिपिन पटेल ने कहा, ‘‘आदेश भारत के किसानों के लिए एक बड़ी जीत है, और किसी भी फसल की खेती करने के उनके अधिकार की पुष्टि करता है।’’

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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