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Feluda vs RT-PCR for Covid-19: जानें! क्या है Feluda टेस्ट, क्यों है दूसरों से बेहतर

नई दिल्लीः भारत में दुनिया में सबसे अधिक पुष्टि किए गए कोविड-19 मामलों की संख्या है, जो अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। इस समय भारत में एक दिन में कोरोना वायरस के तीन लाख से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। हालांकि, एक वैक्सीन महामारी से उबरने की कुंजी होगी, लेकिन परीक्षण […]

नई दिल्लीः भारत में दुनिया में सबसे अधिक पुष्टि किए गए कोविड-19 मामलों की संख्या है, जो अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। इस समय भारत में एक दिन में कोरोना वायरस के तीन लाख से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। हालांकि, एक वैक्सीन महामारी से उबरने की कुंजी होगी, लेकिन परीक्षण को बढ़ाने के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वर्तमान मानक परीक्षण में, रिवर्स-ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज चेन रिएक्शन (RT-PCR), अत्यधिक विश्वसनीय और सटीक है। हालांकि, व्यापक परीक्षण की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए, यह तथ्य कि आरटी-पीसीआर को उन्नत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है और परिणाम देने के लिए 24 घंटे तक एक बेहतर विकल्प की आवश्यकता होती है। जबकि फेलूदा टेस्ट नतीजा सिर्फ 45 मिनट में आ जाता है।

सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी में एक शोध दल द्वारा विकसित कुशल कोविड-19 डिटेक्शन टेस्ट किया गया है। इस टेस्ट का नाम है फेलुदा (Feluda) इसके परीक्षण को कामर्शियल लॉन्च के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसका नाम सत्यजीत रे द्वारा लिखित उपन्यासों में काल्पनिक जासूस से मिलता है। फेलुदा परीक्षण सटीकता से समझौता किए बिना जल्दी परिणाम प्रदान करता है, जो कि कोविड-19 वायरस का पता लगाने में एक बड़ी सफलता है।

CSIR के अनुसार, इसकी एक्युरेसी आरटी-पीसीआर टेस्ट के बराबर है। प्लस पॉइंट ये है कि इस टेस्ट का नतीजा सिर्फ 45 मिनट में आ जाता है जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में घंटों लगते हैं।

यह एक तरह से पेपर स्ट्रिप के जरिए किए जाने वाले प्रेग्नेंसी टेस्ट जैसा है। इसमें एक पेपर स्ट्रिप होती है जो सैम्पल में वायरस की मौजूदगी पर अपना रंग बदलती है। किट में दो लाइनें होती हैं एक कंट्रोल के लिए और दूसरी नतीजे बताने के लिए। आरटी-पीसीआर के मुकाबले इसमें कोई भारी-भरकम उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती।

कौन से टेस्ट बेहतर?
आरटी-पीसीआर के उपकरण और रीजेंट्स महंगे होते हैं और उसके लिए तकनीकी दक्षता की जरूरत पड़ती है। CSIR-IGIB के सीनियर साइंटिस्ट डॉ देबज्योति चक्रवर्ती के अनुसार, फेलुदा टेस्ट के लिए तकनीकी दक्षता की जरूरत नहीं है। यह वक्त, समय और पैसा बचाता है। फेलुदा टेस्ट की कीमत करीब 500 रुपये है जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट के दाम अलग-अलग राज्यों में अलग हैं। हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट में ICMR ने कहा कि फेलुदा टेस्ट इस वजह से मशहूर नहीं हो पाया क्योंकि इसकी किट ज्यादा महंगी है।

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, ICMR ने कहा कि फेलुदा की टेस्ट किट 300 रुपये की आती है जबकि आरटी-पीसीआर की 100 रुपये की। मगर फेलुदा टेस्ट किट को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है जबकि आरटी-पीसीआर के लिए लैब चाहिए।

कैसे किया जाता है फेलुदा टेस्ट?
नाक से स्वाब लेते हैं।
आरएनए निकालते हैं।
सिंगल स्टेप आरटी-पीसीआर करते हैं।
मृत FnCas9 प्रोटीन, गाइड RNA और एम्प्लिफाइड वायरल DNA को इनक्यूबेट कर फेलुदा मिक्स तैयार किया जाता है।
स्टिक को फेलुदा मिक्स में डुबो दिया जाता है।
स्ट्रिप पर मौजूद गोल्ड नैनोपार्टिकल फेलुदा कॉम्पलेक्स से चिपक जाता है।
टेस्ट लाइन पर स्ट्रेप्टावाइडिन का नाम एक प्रोटीन इस गोल्ड नैनोपार्टिकल को पकड़ लेता है।
बाकी गोल्ड पार्टिकल्स कंट्रोल लाइन की पकड़ में आ जाते हैं।
टेस्ट लाइन या कंट्रोल लाइन का रंग बदलता है। एक लाइन का मतलब निगेटिव और दो लाइन का मतलब पॉजिटिव रिजल्ट।
पूरे टेस्ट में एक से दो मिनट का वक्त लगता है।

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