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Kanwar Yatra Nameplate: यूपी सरकार के ‘फरमान’ से भाजपा के सहयोगी चिंतित

उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश पर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के भीतर मतभेद उभरकर सामने आए हैं, जिसमें कांवड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने की दुकानें, चाय की दुकानें और फलों के ठेले चलाने वालों को नेमप्लेट लगाने के लिए कहा गया है।

Kanwar Yatra Nameplate: उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश पर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के भीतर मतभेद उभरकर सामने आए हैं, जिसमें कांवड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने की दुकानें, चाय की दुकानें और फलों के ठेले चलाने वालों को नेमप्लेट लगाने के लिए कहा गया है। भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) यूपी सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि यह असंवैधानिक और विभाजनकारी है।

पश्चिमी यूपी में भाजपा के एकमात्र सहयोगी दल आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने कहा कि यह “सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी और असंवैधानिक” है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “यूपी प्रशासन को स्ट्रीट वेंडरों को अपने स्टॉल पर अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए कहने वाले फैसले को वापस लेना चाहिए।”

यूपी में आरएलडी के नौ विधायक हैं, जिनमें से दो मुस्लिम हैं। बिजनौर से रालोद के सांसद चंदन चौहान ने कहा कि समाज में सभी समुदाय एक दूसरे पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के संरक्षक चौधरी चरण सिंह सांप्रदायिक विभाजन के खिलाफ थे। रालोद महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि अगर सरकार यात्रा की पवित्रता को लेकर इतनी ही गंभीर है तो उसे यात्रा के दौरान शराब की दुकानें भी बंद कर देनी चाहिए।

सांप्रदायिक विभाजन के खिलाफ
राज्य सरकार से असहमति जताते हुए जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि हालांकि बिहार और झारखंड में बड़ी कांवड़ यात्रा होती है, लेकिन वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह प्रधानमंत्री मोदी के भारतीय समाज के वर्णन और ‘सबका साथ सबका विचार’ के उनके सिद्धांत के खिलाफ है। अच्छा होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस पर पुनर्विचार करे।’ वरिष्ठ समाजवादी नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि कांवड़ यात्रा करने वालों की मदद के लिए मुसलमान हमेशा आगे आते रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री और लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी उत्तर प्रदेश पुलिस की सलाह का विरोध किया। एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभाजन का “कभी समर्थन या प्रोत्साहन नहीं देंगे”।

वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी, जिन्होंने एक दिन पहले मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश को अस्पृश्यता के अभिशाप को बढ़ावा देने वाला बताया था, ने यूपी सरकार के आदेश के बाद अपना दृष्टिकोण बदल दिया। उन्होंने कहा, “चूंकि पहले का आदेश सीमित था, इसलिए इसने भ्रम पैदा किया। मुझे आदेश में कोई समस्या नहीं दिखती क्योंकि यह आस्थावानों की भावनाओं का सम्मान करता है। इसे सांप्रदायिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।”

दिमाग में जहर और व्यापार पर असर
मुजफ्फरनगर में दुकान और स्टॉल मालिकों ने बैनर पर अपना नाम और फोन नंबर लिखना शुरू कर दिया है। एन्जॉय कैफे चलाने वाले मोहम्मद फूलबहार ने संवाददाताओं से कहा कि अधिकारियों ने उन्हें बैनर पर मालिक का नाम हिंदी में लिखने के लिए कहा था। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे सांप्रदायिक विभाजन होगा, लोगों के दिमाग में जहर भरेगा और व्यापार पर असर पड़ेगा। “भाईचारा प्रभावित होगा। लोग सरकारी आदेशों को गंभीरता से लेते हैं। उन्हें लगेगा कि हमारे साथ कुछ गड़बड़ है, इसलिए सरकार ने हमसे अपनी पहचान बताने को कहा है।

खतौली बाईपास पर साक्षी टूरिस्ट ढाबा के मालिक लोकेश भारती ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें बैनर पर अपना नाम और फोन नंबर लिखने और आदेश के बाद मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से हटाने को कहा है। उन्होंने कहा, “मैंने चार मुस्लिम कर्मचारियों को इस अवधि के लिए हटा दिया है। मुझे उनके लिए दुख है, क्योंकि वे 15 से 20 दिनों तक बेरोजगार रहेंगे।”

किराने की दुकान चलाने वाले मोहम्मद खलील ने कहा कि पिछले चार सालों से कांवड़िये उनकी दुकान पर रुकते हैं। उन्होंने कहा, “हम पैकेज्ड उत्पाद बेचते हैं, इसलिए पवित्रता को खराब करने का कोई सवाल ही नहीं है। अब हमें कुर्सी देने से पहले भी दो बार सोचना पड़ता है।”

कांवड़ यात्रा 22 जुलाई, सोमवार से शुरू होगी और 2 अगस्त, शुक्रवार को समाप्त होगी।