राष्ट्रीय

106 एयर फोर्स स्क्वाड्रन के साथ असम रेजिमेंट और अरुणाचल स्काउट्स की अंतर सेवा संबद्धता

नई दिल्लीः 15 फरवरी 2021 को तेजपुर (असम) में एक औपचारिक समारोह में 106 एयर फोर्स स्क्वाड्रन के साथ भारतीय सेना की असम रेजिमेंट और अरुणाचल स्काउट्स की ऐतिहासिक संबद्धता पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए । समारोह की शुरुआत असम रेजीमेंट और अरुणाचल स्काउट्स के कर्नल मेजर जनरल पीएस बहल द्वारा गार्ड ऑफ […]

नई दिल्लीः 15 फरवरी 2021 को तेजपुर (असम) में एक औपचारिक समारोह में 106 एयर फोर्स स्क्वाड्रन के साथ भारतीय सेना की असम रेजिमेंट और अरुणाचल स्काउट्स की ऐतिहासिक संबद्धता पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए । समारोह की शुरुआत असम रेजीमेंट और अरुणाचल स्काउट्स के कर्नल मेजर जनरल पीएस बहल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करने के साथ हुई । इसके बाद मेजर जनरल पी एस बहल और ग्रुप कैप्टन वरुण स्लारिया, कमांडिंग ऑफिसर, 106 स्क्वाड्रन द्वारा 'चार्टर ऑफ एफिलिएशन' पर हस्ताक्षर किए गए।

पूर्वी वायुसेना कमान की सुखोई-30 स्क्वाड्रन की असम रेजिमेंट के साथ संबद्धता समकालीन संघर्ष के वातावरण में सैन्य रणनीतिक सिद्धांतों एवं अवधारणाओं के माध्यम से संयुक्त प्रकृति की साझा समझ, क्षमता, सीमाओं एवं अन्य सेवाओं की मुख्य दक्षताओं के विकास में सहायता प्रदान करेगी।

असमरेजिमेंट की स्थापना दिनांक 15 जून 1941 को हुई थी एवं इसने दूसरे विश्वयुद्ध में छह युद्ध सम्मान जीत कर हार को जीत में बदल दिया । बर्मा अभियानके दौरान एवं 1971 के भारत-पाक युद्ध में युद्ध की तस्वीर बदलने मेंरेजिमेंट का योगदान इतिहास में अच्छी तरह से उल्लिखित है । पूर्वोत्तर भारतके सात सिस्टर राज्यों से सैनिकों को लेते हुए रेजिमेंट को एक अशोक चक्र, नौ परम विशिष्ट सेवा पदक, दो परम विशिष्ट सेवा पदक, दो महावीर चक्र, आठकीर्ति चक्र, चार पद्मश्री, चार उत्तम युद्ध सेवा मेडल, चार अति विशिष्टसेवा मेडल, पांच वीर चक्र, 20 शौर्य चक्र, 13 युद्ध सेवा मेडल, 180 सेनामेडल, 35 विश्वस्त सेवा मेडल्स, 66 मेंशन-इन-डिस्पैच और कई प्रशस्ति पत्रोंसे अलंकृत किया गया है।

भारतीय वायु सेनाकी 106 स्क्वाड्रन दिनांक 11 दिसंबर 1959 को स्थापित की गई थी और फिलहाल यहवायुसेना का प्रमुख सुखोई 30 एमकेआई संचालित करती है । यह भारतीय वायुसेना की सबसे अलंकृत स्क्वाड्रन है जिसको तीन महावीर चक्र और सात वीर चक्रमिले हैं । स्क्वाड्रन को प्रतिष्ठित प्रेसिडेंट स्टैण्डर्ड से सम्मानितकिया गया है ।

1971 के युद्ध में वायुसेना स्क्वाड्रन और असम रेजिमेंट का योगदान और बर्मा अभियान में इसरेजिमेंट और पूर्वी वायुसेना कमान का संयुक्त प्रयास उनके युद्धक उत्साह, दृढ़ता और साहस के बारे में बहुत कुछ प्रगटाते हैं ।

इसदौरान उपस्थित लोगों को मेजर जनरल पीएस बहल ने संबोधित किया जिसमेंउन्होंने आज के समय में संबद्धता के महत्व तथा इसके दूरगामी प्रभाव के बारेमें बताया । जनरल ऑफिसर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संबद्धता के पीछे काउद्देश्य एक-दूसरे के सामरिक लोकाचार, सौहार्द और दल भावना के निर्माण केबारे में अधिक से अधिक समझ बढ़ाना था । एक दूसरे की ताकत और बढ़ाया हुआ यह तालमेल और समझ हमारे सशस्त्र बलों के भीतर शक्ति बढ़ाने के रूप में कार्यकरेगा।

बाद में मेजर जनरल पी एस बहल ने सुखोई 30 एमकेआई की क्षमताओं से परिचित होने के लिए एक अभिज्ञता उड़ान भरी ।समारोह में शानदार सुखोई 30 एमकेआई द्वारा एयरोबेटिक्स डिस्प्ले काप्रदर्शन भी किया गया।

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