नई दिल्लीः भारत और अमेरिका ने एयर-लॉन्च मानव रहित विमान यानि ड्रोन को विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसे दोनों देशों के बीच रक्षा एवं सैन्य सहयोग के विस्तार में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। दरअसल, युद्ध में ड्रोन के इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। हवा से संचालित होने वाले ड्रोनों की अहमियत आने वाले समय में और बढ जाएगी। सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि भारत और अमेरिका ने एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल (ALUAV) के विकास में सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
एक आधिकारिक बयान में, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) में संयुक्त कार्य समूह वायु प्रणालियों के तहत एएलयूएवी के लिए परियोजना समझौते (PA) पर 30 जुलाई को हस्ताक्षर किए गए थे। समझौता दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच हुआ। रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘समझौता रक्षा उपकरणों के सह-विकास के माध्यम से दोनों देशों के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’
ALUAV के लिए यह परियोजना समझौता अनुसंधान, विकास, परीक्षण और मूल्यांकन (RDT-E) समझौता ज्ञापन के अंतर्गत आता है, जिसे जनवरी 2006 में रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी रक्षा विभाग के बीच हस्ताक्षरित किया गया था और जनवरी 2015 में नवीनीकृत किया गया था।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, “PA ALUAV प्रोटोटाइप को सह-विकसित करने के लिए सिस्टम के डिजाइन, विकास, प्रदर्शन, परीक्षण और मूल्यांकन की दिशा में वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला, भारतीय वायु सेना और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के बीच सहयोग की रूपरेखा तैयार करता है।’’
DRDO में वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) और वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला (AFRL) में एयरोस्पेस सिस्टम निदेशालय, भारतीय और अमेरिकी वायु सेना के साथ, इस समझौते के निष्पादन के लिए जिम्मेदार प्रमुख संगठन हैं।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) का मुख्य उद्देश्य सहयोगी प्रौद्योगिकी विनिमय को बढ़ावा देने के लिए निरंतर नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करना और भारतीय और अमेरिकी सैन्य बलों के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकियों के सह-उत्पादन और सह-विकास के अवसर पैदा करना है।
पहल के तहत, संबंधित डोमेन में परस्पर सहमत परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भूमि, नौसेना, वायु और विमान वाहक प्रौद्योगिकियों पर संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की गई है।
मंत्रालय ने कहा कि एएलयूएवी के सह-विकास के लिए पीए की निगरानी एयर सिस्टम्स पर संयुक्त कार्य समूह द्वारा की गई है। रक्षा मंत्रालय ने इसे ‘डीटीटीआई के लिए बड़ी उपलब्धि’ करार दिया।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)
Comment here
You must be logged in to post a comment.