लखनऊ: यूपी के कौशांबी में कक्षा 5 की ‘वाटिका’ नाम की हिंदी की किताब के आखिरी में राष्ट्रगान की पंक्तियों से ‘उत्कल’ और ‘ बंग’ शब्द न छपने का जिम्मेदार प्रिंटिंग प्रेस को ठहराया गया है। जिले में लगभग 26 हजार 553 किताब में गड़बड़ी मिली है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह ने उच्च स्तरीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी है। मथुरा के सील प्रकाशन को गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराया है। प्रकाशक को हफ्ते भर के भीतर दूसरी किताब देने का आदेश दिया गया है।
कौशांबी समेत पूरे प्रदेश में लगभग ढाई से तीन लाख किताबों में गलत राष्ट्रगान छपा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में सरकार की तरफ से बच्चों को निशुल्क पुस्तक उपलब्ध कराया जा रहा है। अप्रैल 2022 से सत्र शुरू हो गया था, लेकिन इस बार सत्र शुरू होने के लगभग 5 महीने देर से यानी सितंबर माह में बच्चों को किताबें उपलब्ध कराई गईं। बताया जा रहा है कि कक्षा 5 की वाटिका नामक हिंदी की पुस्तक के आखिरी पेज में राष्ट्रगान की पंक्तियों में दो शब्द गायब मिले।
राष्ट्रगान के साथ छेड़छाड़ की जानकारी होते ही हड़कंप मच गया। मीडिया में खबरें आने लगीं तो शिक्षा विभाग ने राष्ट्रगान में गड़बड़ी की जानकारी अधिकारियों को दी, जिसके बाद प्रिंटिंग प्रेस को फटकार लगाई गई।
इतना ही नहीं किताबों को बदल कर दूसरी देने का भी निर्देश दिया गया। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह ने बताया कि हमारे जनपद में वाटिका के नाम से जो किताब आई है उस किताब के अंतिम पेज पर जो राष्ट्रगान छपा है, उसमें गलती से ‘उत्कल’ और ‘बंग’ शब्द छूट गए हैं। मामला संज्ञान में आते ही हमने संबंधित सील प्रिंटर मथुरा को नोटिस दिया है। उन्हें एक सप्ताह के अंदर किताबें बदलने का भी आदेश दिया गया है।