राष्ट्रीय

अफवाह फैलाकर मुझे हानि पहुंचाना और मुनाफा कमाना हिंडनबर्ग का मकसद: अडानी

सुप्रीम कोर्ट की समिति को कंपनी में कोई गड़बड़ी का पता नहीं चला था

नई दिल्ली: अडानी समूह (Adani Group) के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) ने हिंडनबर्ग (Hindenburg) की तरफ से अपनी कंपनी पर लगाये गये आरोपों पर एक बार फिर खुल कर विचार रखे हैं। अडानी ने कहा है कि अमेरिकी एजेंसी ने लक्ष्य बना कर उनकी कंपनी को लेकर अफवाह फैलाई व गलत सूचनाएं दी, जिसका उद्देश्य कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाना और कंपनी के शेयरों के भाव में कमी आने पर उससे मुनाफा कमाना था।

भारत के सबसे अमीर लोगों में एक गौतम अडानी ने यह बात अडानी समूह की सालाना रिपोर्ट में कही है जिसके मंगलवार को जारी किया गया।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से भारतीय शेयर बाजार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था और अडानी समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन में 150 अरब डॉलर तक की कमी दर्ज की गई थी। इसे घरेलू स्तर पर राजनीतिक मुद्दा भी बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सुनवाई की थी और विशेषज्ञ जांच समिति गठित की थी। समिति की रिपोर्ट ने हाल ही में अपनी अंतरिम रिपोर्ट दी है जिसमें अडानी समूह को क्लीन चिट दी गई है।

गौतम अडानी ने अपने संदेश में इस बात का भी जिक्र किया है कि सुप्रीम कोर्ट की समिति को कंपनी में किसी तरह की गड़बड़ी का पता नहीं चला था। समिति ने अडानी समूह पर लगे आरोपों को रद्द करते हुए यहां तक कहा था कि इस तरह के आरोप भारतीय बाजार को अस्थिर करने के लिए लगाये गये हैं।

अडानी ने कहा है कि पूरे मामले पर सेबी की रिपोर्ट अगले महीने आने की संभावना है, लेकिन हमें भरोसा है कि गवर्नेंस व नियामकों को जानकारी देने के मामले में हम खरे उतरेंगे।

बता दें कि जब पहली बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आई थी तब अडानी ने इसे भारत पर हमला करार दिया था। अडानी ने भारतीय इकॉनोमी को लेकर अभी इस रिपोर्ट में विस्तार से बात रखी है।

सरकार के सुधारवादी कदमों को सराहा
अडानी ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों की भविष्यवाणी करना मुश्किल हो गया है, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं है कि भारत वर्ष 2030 से काफी पहले दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनोमी और वर्ष 2050 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनोमी के तौर पर स्थापित हो जाएगा। इसके लिए उन्होंने स्थिर सरकार और सरकार की सुधारवादी कदमों को सबसे ज्यादा श्रेय दिया है। अडानी ने कहा कि किसी भी इकॉनोमी को विकास की राह पर ले जाने के लिए एक स्थिर सरकार बहुत जरूरी है और हमने देखा है कि बडे़ सुधारों को लागू करने में इसका कितना महत्व होता है।

युवाओं की बढ़ती आबादी भारत के लिए फायदेमंद
भारत में युवाओं की बढ़ती आबादी को भी उन्होंने बहुत ही सकारात्मक बताया है जिसका पूरी इकॉनोमी को फायदा होगा। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फंड की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए गौतम अडानी ने कहा है कि वर्ष 2050 तक भारतीयों की माध्यिका उम्र 38 वर्ष की होगी जबकि कुल जनसंख्या 1.6 अरब की होगी। लेकिन इस दौरान भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय 700 प्रतिशत बढ़ कर 16 हजार डॉलर के करीब होगी। इस वृद्धि से हम अभी वैश्विक मंदी से भी बचें रहेंगे। अगले एक दशक के बाद भारतीय इकोनोमी में हर महीने 1000 अरब डॉलर (एक ट्रिलियन डॉलर) की बढ़ोतरी होगी।