राष्ट्रीय

हाय गरीबी! नेशनल पदक विजेता कर रहा हैं मुर्गी पालन

तीरंदाजी (Archery) में आधा दर्जन राष्ट्रीय पदक जीतने (National medals winner) वाले तीरंदाज ((Archer) अनिल लोहार की आगे की राह को गरीबी ने विराम लगा दिया। खुद और परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए आज वह मुर्गी पालने को मजबूर हैं।

जमशेदपुर: तीरंदाजी (Archery) में आधा दर्जन राष्ट्रीय पदक जीतने (National medals winner) वाले तीरंदाज ((Archer) अनिल लोहार की आगे की राह को गरीबी ने विराम लगा दिया। खुद और परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए आज वह मुर्गी पालने को मजबूर हैं।

झारखंड के सरायकेला- खरसावां जिले के गम्हरिया के पिडराबेला निवासी अनिल लोहार ने वर्ष 2014 में हैदराबाद में संपन्न जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड पर निशाना साधा तो उसके हौसले ओलंपिक में पदक जीतने की हो गई। लेकिन अपने निशाने को और अचूक बनाने के लिए तीरंदाजी के अत्याधुनिक उपकरणों की जरूरत थी।

करीब साल भर पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा राज्य के खेल व संस्कृति विभाग को पत्र लिखकर अनिल लोहार को आर्थिक मदद दिलाने की सिफारिश की, लेकिन उसे आजतक न तो किसी प्रकार की आर्थिक मदद मिली और न ही कोई अत्याधुनिक उपकरण।

इसके अभाव में वह समुचित अभ्यास नहीं कर सका और मार्च 2022 में जम्मू-कश्मीर में आयोजित इंडियन नेशनल चैंपियनशिप से यह तीरंदाज मायूस लौटा। उपकरण तो दूर की बात घर में खाने तक का अभाव था।

आखिरकार गरीबी के आगे घुटने टेकते हुए अनिल ने मुर्गीपालन कर परिवार का पेट भरने में जुट गया। इस तरह उदीयमान प्रतिभा की अकाल मौत हो गई। साथ ही देश का एक शानदार खिलाड़ी गुमनामी के अंधेरे में खो गया।