मुम्बई: यहां की झुग्गी बस्ती से चलने वाली एक राजनीतिक पार्टी को मिले करोड़ों के चंदे (donation) से आयकर विभाग अवाक हैं। हाल ही में देश भर में आयकर विभाग की ओर से छापेमारी की गई थी। इसी दौरान इस सियासी पार्टी के बारे में भी खुलासा हुआ है। जनतावादी कांग्रेस पार्टी नाम के इस दल का मुख्यालय चूनाभट्टी इलाके की एक झुग्गी बस्ती में है।
जानकारी के मुताबिक, 2015 में बनी जनतावादी कांग्रेस पार्टी को कोई छोटी-मोटी राशि नहीं बल्कि 90 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। आयकर विभाग को शक है कि हवाला रैकेट के जरिए आई रकम राजनीतिक दल को ट्रांसफर की गई है।
जनतावादी कांग्रेस पार्टी पंजीकृत दल है, लेकिन महाराष्ट्र की सियासत में इसकी कभी कोई भूमिका नहीं रही है। अब सवाल यह उठता है कि जनतावादी कांग्रेस पार्टी को 90 करोड़ रुपये का दान किसने दिया? जो एक चाल में दो मंजिला कमरे से चलती है और पार्टी के सिंबल के अलावा उसके पास कुछ नहीं है। इस संबंध में उक्त पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष काटके ने कहा कि हमारी पार्टी को 90 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जिसे पार्टी के काम में खर्च किया गया। हमने कुछ भी गलत नहीं किया है।
2015 में गठित पार्टी का सियासत में रोल ही नहीं
पार्टी अध्यक्ष संतोष काटके ने कहा कि मैंने खर्च का सारा ब्योरा चुनाव आयोग को सौंप दिया है। हालांकि, आयकर विभाग ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। आयकर विभाग के अफसरों का कहना है कि जनतावादी कांग्रेस पार्टी द्वारा दिखाए गए सभी खर्च विवरण फर्जी हैं। इस पार्टी का इस्तेमाल हवाला ऑपरेटरों द्वारा करों से बचने के लिए किया जाता था। जनतावादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना 2015 में हुई थी। पंजीकरण के समय, यह उल्लेख किया गया था कि पार्टी का मुख्यालय चूनाभट्टी में एक झुग्गी बस्ती में है। 2018 में इस पार्टी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन किसी भी सीट पर उसे जीत हासिल नहीं हुई थी।
123 दलों पर छापेमारी
आयकर विभाग ने इस बार देश भर में बुधवार को 123 पंजीकृत लेकिन अज्ञात राजनीतिक दलों की संपत्तियों पर छापेमारी की गई थी। इसके अलावा कुछ हवाला संचालकों की संपत्तियों पर भी छापेमारी की गई। इस दौरान आयकर विभाग को वित्तीय अनियमितता, कर चोरी, फर्जी चंदा और वित्तीय हेराफेरी के सुराग मिले थे। इनमें से दो संदिग्ध दल मुंबई से हैं।
देश भर में 2,000 पंजीकृत दल, जो अज्ञात हैं
आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक देश भर में ऐसे करीब 2,000 पंजीकृत दल हैं, जो अज्ञात हैं। इन पार्टियों का उपयोग हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से पैसे का आदान-प्रदान करने के लिए किया जाता है।