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जजों पर हमले को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरतः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्लीः न्यायाधीशों के लिए सुरक्षा उपायों की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की खिंचाई की। सुप्रीम कोर्ट पिछले महीने झारखंड के एक जिला जज की हत्या के मामले की सुनवाई कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का […]

नई दिल्लीः न्यायाधीशों के लिए सुरक्षा उपायों की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की खिंचाई की। सुप्रीम कोर्ट पिछले महीने झारखंड के एक जिला जज की हत्या के मामले की सुनवाई कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया और कहा कि अगर वे ऐसा करने में विफल रहते हैं तो वह 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाएगा।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि सीसीटीवी के अलावा, ‘आतंकवाद और न्यायाधीशों पर हमले’ को रोकने के लिए जमीन पर कुछ प्रभावी कार्रवाई करने की जरूरत है।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘‘उत्तर दाखिल करने वाले सभी राज्यों ने सीसीटीवी कैमरों की स्थापना के बारे में बात करते हुए सिस्टम की एक गुलाबी तस्वीर पेश करने की कोशिश की है। सीसीटीवी क्या करेगा? क्या यह अपराधी को धमकी और आतंकवाद और न्यायाधीशों पर हमला करने से रोकेगा! जमीन पर कुछ प्रभावी करने की जरूरत है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘कई राज्यों ने सुरक्षा व्यवस्था के विवरण के साथ एक हलफनामा दाखिल करने की जहमत नहीं उठाई।’’

इस महीने की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से अदालतों और न्यायाधीशों के लिए सुरक्षा व्यवस्था के विवरण पर रिपोर्ट जमा करने को कहा था। मणिपुर, झारखंड, पश्चिम बंगाल और गुजरात ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने सोमवार को अपनी रिपोर्ट दाखिल की।

सीजेआई एन वी रमण ने कहा, ‘‘जिन राज्यों ने हलफनामा दाखिल नहीं किया है, हम उन पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाएंगे। अगर 10 दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है, तो मुख्य सचिव को अगली तारीख अदालत में पेश होना होगा।’’

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘हम कदम उठाएंगे। गृह सचिव प्रत्येक राज्य के मुख्य सचिवों के साथ एक बैठक बुलाएंगे। केवल राज्यों को जवाब दाखिल करने के बजाय, यह अदालत प्रत्येक के रजिस्ट्रार जनरल से पूछ सकती है। उच्च न्यायालय सुरक्षा के संबंध में वास्तविक तस्वीर पर रिपोर्ट देगा।’’

इस पर सीजेआई एन वी रमना ने जवाब दिया, ‘‘हमें न्यायिक रजिस्ट्रार पर अधिक बोझ क्यों डालना चाहिए? अदालत की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है।’’

धनबाद के जिला और सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों की सुरक्षा और न्यायाधीशों की सुरक्षा के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया था।

पिछले महीने, न्यायाधीश उत्तम आनंद रणधीर वर्मा चौक पर एक काफी चौड़ी सड़क के एक तरफ जॉगिंग कर रहे थे, जब एक ऑटो-रिक्शा ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी और मौके से फरार हो गया।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने जजों को धमकियों की शिकायतों का जवाब नहीं देने पर भी जांच एजेंसी की खिंचाई की।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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