नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharur) ने आज नए लोकसभा कक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा स्थापित किए गए ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ (Rajdand Sengol) को लेकर हुए भारी विवाद खड़ा कर दिया है। दरअसल, थरूर ने अपनी पार्टी के उलट जाकर बयान दिया है। तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर की टिप्पणी उनकी पार्टी द्वारा राजदंड के इतिहास पर सरकार के दावों को फर्जी करार दिए जाने के बाद आई है।
कांग्रेस सांसद थरूर ने एक ट्वीट करते हुए लिखा-सेंगोल (Sengol Of India) विवाद पर मेरे नज़रिये से दोनों पक्षों के पास अच्छे तर्क हैं। सरकार का यह तर्क उचित है कि राज दंड पवित्र संप्रभुता और धर्म के शासन को मूर्त रूप देते हुए परंपरा का चलता रहना दिखाता है। विपक्ष का यह तर्क उचित है कि संविधान देशवासियों के नाम पर बना है और संप्रभुता देशवासियों की संसद में देशवासियों के प्रतिनिधित्व में मौजूद है। संविधान किसी राजा को राजसी विशेषाधिकार से मिलने वाला कोई दैवीय अधिकार नहीं है।
शशि थरूर ने लिखा कि सत्ता और विपक्ष के इन तर्कों में सामंजस्य बैठ सकता है यदि माउंटबेटन द्वारा नेहरू को राज दंड सत्ता के हस्तांतरण के रूप में दिए जाने वाली विवादास्पद और ध्यान भटकाने वाली कहानी, जिसका कोई प्रमाण नहीं है, को हटा दिया जाए। हमें सीधा कहना चाहिए कि राजदंड सेंगोल शक्ति और प्रभुत्व का पारंपरिक चिन्ह है, जिसे लोकसभा में स्थापित करते हुए भारत यह निश्चित कर रहा है कि संप्रभुता वहां लोकसभा में रहती है, न कि किसी राजा के पास। उन्होंने कहा कि वर्तमान के मूल्यों की पुष्टि के लिए बीते कल के इस प्रतीक को हमें सम्मान देना चाहिए।