पटना: अपनी गति बढ़कर कार्य करने वाले को ही विजय श्री मिलती है अनुकूल परिस्थितियों में विश्राम करने वाला हार जाता है आज देश में अनुकूल माहौल है हमारा लक्ष्य अभी दूर है यह समय अपनी गति बढ़कर जीत प्राप्त करने का है।
उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने पटना महानगर के स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
पटना के राजेंद्र नगर स्थित शाखा मैदान में प्रातः काल आयोजित गणवेशधारी स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक गमले के पुष्प नहीं बल्कि वन के फूल हैं जो अपने पोषण की व्यवस्था स्वयं करता है। हम लोगों को समाज ने सम्मान दिया है। स्वयंसेवकों को नहीं भूलना चाहिए कि हमारी दशा बदली है लेकिन दिशा नहीं। हमें विनम्रता और शील नहीं छोड़ना चाहिए। हम लोग बलशाली हो सकते हैं परन्तु उन्मुक्त नहीं।
डा भागवत ने स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि वे अपने लिए चार काम सुनिश्चित करें। पहला कार्य शाखा की नित्य साधना है। दूसरा कार्य शाखा से प्राप्त शिक्षा के आधार पर अपना आचरण रखना, तीसरा कार्य जैसा समाज चाहिए उस अनुरूप अनुशासन के साथ प्रमाणिकता से आचरण और चौथा कार्य भोग नहीं बल्कि त्याग का सिद्धांत व्यवहार में उतरना है।
शताब्दी वर्ष का उल्लेख करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि शताब्दी वर्ष के अवसर पर पांच करणीय कार्य निश्चित किए गए हैं।पहला कार्य सामाजिक समरसता, दूसरा कार्य कुटुंब प्रबोधन, तीसरा स्वदेशी, चौथा पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और पांचवा कार्य नागरिक कर्तव्य बोध का जागरण है। कार्यक्रम में मंच पर दक्षिण बिहार प्रांत के संघचालक राजकुमार सिन्हा और महानगर के संघचालक डॉ राजीव कुमार सिंह भी उपस्थित थे।