मुंबई: एक पब्लिक पॉलिसी थिंक टैंक और गैर-लाभकारी संगठन मुंबई फर्स्ट ने गुरुवार को अपने जलवायु सम्मेलन के दूसरे संस्करण की शुरुआत की। इसमें महाराष्ट्र के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे सहित अन्य प्रमुख वक्ताओं और गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया।
‘क्लाइमेट क्राइसिस 2.0- मोबिलाइजिंग फाइनेंस फॉर कोस्टल सिटीज’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय इस कॉन्क्लेव में मुंबई जैसे तटीय शहरों को जलवायु संकट के दौरान जरूरी मदद करने के लिए क्लाइमेट फाइनेंस जुटाने की आवश्यकता और इसके महत्व पर चर्चा की जा रही है।
महाराष्ट्र के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, जिन्हें एक प्रतिबद्ध पर्यावरणविद् और संरक्षणवादी के तौर पर पहचाना जाता है, वे इस कॉन्क्लेव में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। अपने उद्बोधन में उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कार्य करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए एक उत्साहजनक भाषण दिया।
उन्होंने जिन प्रस्तावों का जिक्र किया, उनमें लालफीताशाही को खत्म करने के लिए मुंबई के लिए एक सिंगल प्लानिंग एजेंसी की स्थापना करने का प्रस्ताव भी था। उन्होंने शहर-आधारित योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए स्थानीय शासन को व्यापक शक्तियां प्रदान करने का सुझाव भी दिया।
कॉन्क्लेव के प्रथम दिन जिन लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए, उनमें भारत में यूरोपीय यूनियन के राजदूत श्री उगो एस्टुटो, युनाइटेड नेशंस एन्वायर्नमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) के इंडिया हैड डॉ. अतुल बगई, एमएमआरडीए मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर श्री एस.वी.आर. श्रीनिवास, महाराष्ट्र सरकार की प्रधान पर्यावरण सचिव सुश्री मनीषा महैस्कर और इंडोनेशिया, श्रीलंका, नीदरलैंड, सिंगापुर और जापान के महावाणिज्य दूत प्रमुख हैं।
महाराष्ट्र सरकार, यूरोपीय यूनियन, नीदरलैंड के वाणिज्य दूतावास और मैकिन्से के सहयोग से आयोजित इस कॉन्क्लेव का मकसद इस बात पर एक उद्देश्यपूर्ण चर्चा करना है कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए मुंबई और एमएमआर (मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन) के लिए क्लाइमेट फाइनेंस जुटाना कैसे महत्वपूर्ण है।
इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को कम करने और अनुकूल बनाने के लिहाज से हरित निवेश के अवसरों का पता लगाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ राज्य और नगरपालिका सरकारों की भागीदारी के निर्माण के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करना भी है।