शिमला: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां हिमाचल पथ परिवहन निगम की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार निगम को आर्थिक घाटे से उबारने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगी और निगम को आत्मनिर्भर बनाएगी।
उन्होंने कहा कि बस सेवा सुविधाएं प्रदेश के लोगों के लिए जीवन रेखा का कार्य करती है क्योंकि प्रदेश में परिवहन का यह मुख्य साधन है। हिमाचल पथ परिवहन निगम लोगों को सुलभ और सुविधाजनक परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाता है और निगम के 12 हजार कर्मचारी इस संस्था की नींव हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निगम को हरित परिवहन प्रणाली में परिवर्तित किया जा रहा है और विश्वसनीय परिवहन सेवा के लिए निगम में इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े को शामिल किया गया है। वर्तमान में निगम की 110 ई-बसें और 50 ई-टैक्सियां कार्यशील हैं। इसके अतिरिक्त, निगम को आर्थिक घाटे से उबारने की दिशा में सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 327 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं और अतिरिक्त दो हजार टाइप-2 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद प्रक्रिया चल रही है।
ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि निगम धार्मिक स्थानों में बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत है। इस कड़ी में पहले चरण में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अयोध्या के लिए छह बसों की सुविधा दी गई है और आवश्यकता पड़ने पर इनकी संख्या में वृद्धि की जा सकती है।
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में निगम विश्वसनीय परिवहन सेवाएं उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने कहा कि गत सात माह से निगम के कर्मचारियों और पेंशनरों को हर माह के पहली तारीख को वेतन और पेंशन मिल रहा है, जबकि पिछली भाजपा सरकार के दौरान कर्मचारियों और पेंशनरों को आठ से 10 दिनों के बाद वित्तीय अदायगी की जाती थी।
अधोसंरचना सलाहकार अनिल कपिल, प्रधान सचिव परिवहन आरडी नजीम, प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, निगम के प्रबन्ध निदेशक रोहन चंद और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक की।