शिमला: शहरी क्षेत्रों में प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, हिमाचल प्रदेश सरकार ने शहरी विकास विभाग में एक समर्पित पर्यावरण प्रकोष्ठ गठित करने का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य राज्य के शहरी क्षेत्रों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की बढ़ती चुनौतियों का समाधान सुनिश्चित करना है। तेजी से शहरीकरण के कारण अपशिष्ट प्रबन्धन की चुनौतियां निरंतर बढ़ रही हैं।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबन्धन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि राज्य के 60 शहरी स्थानीय निकाय (ULB) में 5 नगर निगम, 29 नगर परिषद और 26 नगर पंचायतें शामिल हैं। यह निकाय विभिन्न सेवाओं की बढ़ती मांग पूरी करने और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन वर्तमान में शहरी स्थानीय निकायों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, इसलिए इन चुनौतियों का सामना करने और हिमाचल प्रदेश में स्वच्छ और सत्त शहरी वातावरण सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित प्रकोष्ठ गठित किया जाएगा।
शहरी विकास विभाग में वर्तमान में प्रभावी निष्पादन के लिए आवश्यक तकनीकी जनशक्ति की कमी है। पर्यावरण प्रकोष्ठ से पर्याप्त स्टाफ और विशेषज्ञता की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित होगी। वर्तमान में अपशिष्ट प्रबंधन कार्यों का प्रबंधन शहरी विकास निदेशालय की परियोजना शाखा द्वारा किया जाता है, जो पहले से ही विभिन्न दायित्वों का निर्वहन सुनिश्चित कर रही हैै। पर्यावरण प्रकोष्ठ के गठन से राज्य के शहरी स्थानीय निकायों को पर्यावरण की दृष्टि से सत्त और सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने ठोस और तरल अपशिष्ट के उचित निपटान के महत्व पर बल देते हुए कहा कि अपशिष्ट पदार्थों के अनुचित निपटान से लोगों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और जीवन की समग्र गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली न केवल बीमारियों के प्रसार को रोकने और पेयजल की गुणवता बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं, बल्कि वायु शुद्धता को बनाए रखने एवं समुदाय की समग्र भलाई के लिए भी अति महत्वपूर्ण है।