Health

पुलिसकर्मियों और जेल के कैदियों को ध्यान अभ्यास का परिचय

पुलिसकर्मियों का काम बेहद कठिन और तनावपूर्ण होता है। उन पर समाज में कानून व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी होती है। दूसरी ओर जेल के कैदी कारागार की कठिन परिस्थितियों में अपनी सजा काटते हैं और अपने गुनाहों का प्रायश्चित करते हैं। कहने की आवश्यकता नहीं कि दोनों को ही अध्यात्म की गहन आवश्यकता है। […]

पुलिसकर्मियों का काम बेहद कठिन और तनावपूर्ण होता है। उन पर समाज में कानून व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी होती है। दूसरी ओर जेल के कैदी कारागार की कठिन परिस्थितियों में अपनी सजा काटते हैं और अपने गुनाहों का प्रायश्चित करते हैं। कहने की आवश्यकता नहीं कि दोनों को ही अध्यात्म की गहन आवश्यकता है। यही सोच रखते हुए भोपाल निवासी श्री सुधीर गर्ग ने पुलिस कर्मियों और कैदियों को ध्यान अभ्यास सिखाने का निश्चय किया। सुधीर इंडियन आयल कारपोरेशन के सेवा निर्वत्त अधिकारी हैं। वे पिछले कई वर्षों से फालुन दाफा साधना पद्धति का अभ्यास कर रहे हैं।  

फालुन दाफा (जिसे फालुन गोंग भी कहा जाता है) मन और शरीर का उच्च स्तरीय ध्यान अभ्यास है। फालुन दाफा की शुरुआत 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा चीन की गयी। आज इसका अभ्यास दुनिया भर में 100 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा किया जा रहा है। फालुन दाफा में पांच सौम्य और प्रभावी व्यायाम सिखाये जाते हैं, किन्तु बल मन की साधना या नैतिक गुण साधना पर दिया जाता है। मन और शरीर का एक परिपूर्ण अभ्यास होने के कारण इस अभ्यास से लोगों को कम समय में ही आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।

सुधीर गर्ग वर्षों से मधुमेह के रोगी होने के कारण कोई प्राकृतिक समाधान खोज रहे थे। हैदराबाद में उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें फालुन दाफा साधना पद्धति के बारे में मालूम पड़ा। इसके अभ्यास से उन्हें न केवल मधुमेह में आराम मिला बल्कि उनके जीवन के प्रति दृष्टिकोण में भी बदलाव आया। उन्हें लगा कि जो लाभ उन्हें प्राप्त हुए वे औरों के साथ भी साझा करने चाहियें। अपने साथी अभ्यासियों की मदद से उन्होंने इस साधना पद्धति को लोगों को सिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने हैदराबाद और दिल्ली की पुलिस अकादमी में हजारों पुलिस कर्मियों को अभ्यास सिखाया। 

सेवा निर्वत्ति के बाद भोपाल आने के बाद श्री गर्ग ने इंदौर और रतलाम के पुलिस अधीक्षकों से फालुन दाफा अभ्यास सिखाने की चर्चा की। अनुमति मिलने पर उन्होंने इंदौर और रतलाम के पुलिस कर्मियों के लिए पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में फालुन दाफा की कार्यशालाएँ आयोजित कीं। जेल कैदियों के लिए जिला कारावासों में कार्यशालाएँ आयोजित की गईं। इन कार्यशालाओं में सैकड़ों पुलिस कर्मियों और कैदियों ने भाग लिया। भाग लेने वाले अधिकांश लोगों ने फालुन दाफा के बारे में पहली बार सुना था। कई लोगों ने कहा कि व्यायामों के अभ्यास से उन्हें उन्हें शुभकारी शांति महसूस हुई और संगीत बहुत सुखदायक लगा। उनमें से अनेक ने शक्तिशाली ऊर्जा महसूस की।   
फालुन दाफा अक्सर बाहर पार्कों या सार्वजनिक स्थलों पर सिखाया जाता है। कोरोना के प्रतिबंधों के चलते इसे ऑनलाइन वेबिनार द्वारा भी सिखाया जा रहा है जो बहुत लोकप्रिय हो रहा है। यदि आप भी इस अभ्यास को सीखने के इच्छुक हैं तो www.LearnFalunGong.in पर इसके नि:शुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। फालुन दाफा के बारे में अधिक अधिक जानकारी आप www.FalunDafa.org पर पा सकते हैं।

Comment here