गुड़मार (Gymnema sylvestre) दो शब्दों से बना है- गुड़ + मार। गुड़ यानि मीठा और मार यानि नष्ट करने वाला। यह एक औषधीय पौधा है जो मुख्यतः मध्य भारत (मध्य प्रदेश), दक्षिण भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। यह बेल (लता) के रूप में होता है। इसकी पत्ती को खा लेने पर किसी भी मीठी चीज का स्वाद लगभग एक घंटे तक के लिए समाप्त हो जाता है। इसे खाने के बाद गुड़ या चीनी की मिठास खत्म हो जाती है। इस विशेषता के कारण स्थानीय लोग इसे गुड़मार के नाम से पुकारते हैं। माना जाता है कि इसके नियमित सेवन से शूगर पर कंट्रोल किया जा सकता है। आयुर्वेद में इसे अकेले या शूगररोधी दूसरी दवाओं के साथ मिलाकर ब्लड शूगर को नियंत्रित करने के लिए लिया जा सकता है। इस पौधे की पत्तियों को सुखाकर इसका पाउडर बनाकर इसको स्टोर किया जा सकता है। बाजार में इसका बना बनाया पाउडर और कैपसूल भी उपलब्ध है।
गुड़मार के पत्तों का उपयोग प्राचीन भारतीय औषधीय अभ्यास आयुर्वेद में हजारों वर्षों से किया जाता रहा है। आयुर्वेद में, डायबिटीज को ‘मधुमेह’ कहा जाता है। गुड़मार को संस्कृत में मेषश्रृंगी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी पत्तियों का आकार बकरी के सींगों की तरह होता है। ऑस्ट्रेलिया में, इस पौधे को काउप्लांट कहा जाता है। जिम्नेमा सिल्वेस्ट्रे (वैज्ञानिक नाम) एपोकाइनेसी परिवार में एक पौधा है। वर्ष भर में उत्पादित अण्डाकार पत्तियों और छोटे पीले फूलों के साथ यह पौधा भारत, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों के मूल निवासी है।
मधुमेह को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने के लिए एक बहुत प्रभावी हर्बल दवा है, गुड़मार शर्करा की कमी को कम करने और रक्त शर्करा के स्तर पर बेहतर नियंत्रण में मदद करता है। यह पेनक्रियाज को सक्रिय करता है और इंसुलिन की संतुलित मात्रा का स्राव करने में मदद करता है, जिससे अतिरिक्त ग्लूकोज ग्लाइकोजन में परिवर्तित हो जाता है।
शरीर में वसा के जमाव को रोकने के लिए गुड़मार उपयोगी साबित होता है। यह आपके मेटाबाॅलिज्म को सुधारने में भी मददगार है। गुड़मार संक्रमण रोधी है। इस पौधे में मौजूद तत्व शरीर के विषाणुओं से लड़कर रोगों की आशंका को कम देते हैं।
चीनी रिसेप्टर्स को करता है ब्लॉक
इस पौधे में प्राथमिक सक्रिय घटकों में से एक है जिम्नेमिक एसिड, जो एक्सट्रा शूगर को खत्म करने में मदद करता है। जब आप कोई मीठी चीज खाते हैं, तो एसिड आपके टेस्ट बड्स पर चीनी रिसेप्टर्स को अवरुद्ध करता है और चीनी के प्रभाव को कम करता है, इस प्रकार मीठे खाद्य पदार्थ को कम आकर्षक बनाते हैं। गुड़मार का चीनी अवरोधक प्रभाव बहुत जल्दी काम करता है लेकिन स्थायी नहीं है, हर्बल सप्लीमेंट लेने के समय से एक घंटे तक रहने का अनुमान है। गुड़मार आपकी आंतों में रिसेप्टर्स को भी अवरुद्ध कर सकता है और इस प्रकार इस प्रकार आपके भोजन के बाद के रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।
औषधीय उपयोग
पत्तियों का चूर्ण मधुमेह (डायबिटीज) में उपयोगी है, इससे यकृत की क्रिया में सुधार हेाता है। यह अक्षिविकार, कास, कुष्ठ, कृमि, व्रण एवं विष को नष्ट करने वाला है। सर्पदंश में जड़ का सेवन व लेप करने का विधान है। इसके पत्तों में जिम्नेनिक एसिड मुख्य घटक होता है। इसके अलावा अन्थ्राक्विनोन कम्पाउण्ड होता है। भस्में फेरिक आक्साइड व मैंगनीज आदि तत्व भी पाये जाते हैं। गुडमार के सेवन से रक्त शर्करा की मात्रा कम हो जाते हैं। गुडमार के सेवन से रक्त शर्करा स्वतः बन्द हो जाती है। मधुमेह के नियन्त्रण हेतु सर्वाधिक उपयोगी औषधीय पौधा है। आधुनिक समय में डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो 50 वर्ष की आयु से अधिक आयु वर्ग में अनुामनतः 70 प्रतिशत व्यक्ति पीड़ित है। यह व्याधि और भी गम्भीर हो जाती है जब यह अनेक बीमारियों जैसे-हृदय रोग, गंभीर चर्म रोगों, गैंगरीन आदि का कारण बन जाती है। ऐलोपेथिक चिकित्सा पद्धति में इसके (मधुमेह) नियंत्रण हेतु अनेक दवाईयाँ व उपचार (इन्सुलिन इंजेक्शन) प्रचलन में है, परन्तु इनका प्रभाव उन दवाओं का सेवन करन तक ही है जबकि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में गुडमार द्वारा उपचार स्थायी एवं सस्ता है। इस प्रकार मधुमेह नियन्त्रण हेतु आज भी गुडमार इतनी ही उपयोगी है जितनी सदियों पूर्व थी। जापान में तो गुडमार की गोलियाँ भी जैसे भारत में चूर्ण (हाजमा के लिए) काम में लेते हैं उसी प्रकार रोजााना खाना खाने के बाद नियमित रूप् से उपयोग में ली जाती है।
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