Fashion

बंद गले का फैशन आ रहा है वापस, पुरूषों के साथ महिलओं को भी आ रहा रास

विशेष अवसरों पर अंग्रेजी सूट या टक्सीडो पहनने की प्रथा भारतीय पुरुषों के लिए तेजी से पुरानी होती जा रही है, अब भारतीय युवा बंद गले के कोट और अंगरखा जैसे शाही पोशाकों को पसंद कर रहे हैं। डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी के अनुसार, भारतीय पुरुष, विशेष रूप से दूल्हे, ‘‘अचानक भारतीय होने के महत्व को […]

विशेष अवसरों पर अंग्रेजी सूट या टक्सीडो पहनने की प्रथा भारतीय पुरुषों के लिए तेजी से पुरानी होती जा रही है, अब भारतीय युवा बंद गले के कोट और अंगरखा जैसे शाही पोशाकों को पसंद कर रहे हैं। डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी के अनुसार, भारतीय पुरुष, विशेष रूप से दूल्हे, ‘‘अचानक भारतीय होने के महत्व को महसूस कर रहे हैं।’’

उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘वे अब पतलून के साथ बंद गला पहनने के लिए तैयार नहीं हैं, वे उन्हें चूड़ीदार के साथ पहनना चाहते हैं। वे अचकन और अंगरखा पहनना चाहते हैं।’’ बंद गला वास्तव में अंगरखा की तरह ही एक पहनावा है, जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत (7000 ईसा पूर्व -500 सीई) में एक अदालती संगठन के रूप में हुई थी।

सदियों से, क्लासिक अंगरखा ने खुद को बेहतर फिटिंग बंद गला में आकार दिया, और अब समकालीन फैशन में एक महत्वपूर्ण पोशाक बन गया है, खासकर विन डीजल जैसे हॉलीवुड सितारों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी राजनीतिक हस्तियों ने इसे सार्वजनिक अवसरों पर पहनने का विकल्प चुना है। पारंपरिक पोशाक में आवश्यक परिवर्तन के साथ इसकी शुरूआत हुई।

ब्रिटिश जैकेट जिसने तत्कालीन मौजूदा बॉक्सी पैटर्न को काफी हद तक बदल दिया। ‘शांतनु और निखिल’ के डिजाइनर निखिल थंपी ने कहा, ‘‘ब्रिटिश जैकेट ने पारंपरिक बंदगला को एक नया आकार दिया, एक तेज सिल्हूट और, सबसे महत्वपूर्ण, पतलून को इसकी छोटी जैकेट शैली की उपस्थिति के कारण और भी आकर्षक बना दिया।’’

उन्होंने बंदगला को फिर से डिजाइन किया, जो जल्द ही राजघरानों के बीच एक लोकप्रिय औपचारिक और अर्ध-औपचारिक ड्रेस बन गई, जो अब हर आदमी की पसंद बन गई है। चाहे वह शादी का समारोह या औपचारिक रात्रिभोज, बंदगला आपको एक अलग पहचान देता है और यह महत्वपूर्ण है कि ये पोशाक सभी प्रकार के शरीर पर जंचती है, तभी तो बंद गला सब वर्गों की पसंद बन गया है।

समकालीन समय में बंदगलों की लोकप्रियता काफी हद तक भारतीय डिजाइनरों द्वारा अद्वितीय नवाचारों में निहित है, जिन्होंने इसे 21वीं सदी के फैशन के लिए प्रासंगिक बना दिया है, साथ ही इसकी गहरी जड़ें बरकरार रखी हैं। डिजाइनर राघवेंद्र राठौर, जो खुद शाही वंश के हैं, ने पीढ़ियों से रॉयल्टी और कुलीन वर्ग द्वारा पहने जाने वाले कालातीत पोशाक को फिर से नया रूप दिया है, इसे एक नया अवतार दिया है।

उनकी शैली का जादू उन कटों में है जो बंदगला की विरासत में चमक लाते हैं, जो अब दुनिया भर में एक ब्लैक-टाई इवेंट के लिए एक स्वीकृत पोशाक है। राठौर का सुझाव है कि पीले बटन और एक अनुकूलित पॉकेट स्कार्फ के साथ पहने जाने पर श्प्रिंस कोटश् सबसे अच्छा लगता है। लेकिन, इसे एक अनौपचारिक आकस्मिक जैकेट के रूप में भी पहना जा सकता है, जिसे डेनिम्स के साथ जोड़ा जाता है, वे कहते हैं। ‘‘एक बंद गला के मूल रूप को प्राप्त करने के लिए, सही कट और फिट होने के बारे में बेहद खास होना चाहिए।’’

परंपरागत रूप से बंदगला ज्यादातर पुरुषों द्वारा पहना जाता था, लेकिन वर्तमान समय में, यह लिंग बाधाओं को तोड़ने में कामयाब रहा है और अब इसे भारतीय पारंपरिक या अर्ध-औपचारिक पोशाक के साथ मिलाकर महिलाओं द्वारा पहना जाता है। डिजाइनर करण अरोड़ा कहते हैं, ‘‘बंद गला अनारकली सूट के साथ एकदम सही दिखता है और वर्तमान में महिला वार्डरोब में अपनी जगह बना रहा है।’’

(सौजन्य www.PTINEWS.com)

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