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सेक्युलरवादी क्यों कर रहे हैं ‘द कश्मीर फाइल्स’ का विरोध?

नई दिल्ली: वर्ष 1990 में केंद्र में वी, पी. सिंह की सरकार थी, तब एक दिन में कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार नहीं हुआ है, अपितु उसकी तैयारी अनेक वर्ष पूर्व से चल रही थी । पहले धन की आपूर्ति, शस्त्रों का प्रशिक्षण, शस्त्रों की आपूर्ति की गयी । वर्ष 1989 में फारुख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के […]

नई दिल्ली: वर्ष 1990 में केंद्र में वी, पी. सिंह की सरकार थी, तब एक दिन में कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार नहीं हुआ है, अपितु उसकी तैयारी अनेक वर्ष पूर्व से चल रही थी । पहले धन की आपूर्ति, शस्त्रों का प्रशिक्षण, शस्त्रों की आपूर्ति की गयी । वर्ष 1989 में फारुख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था । उस समय कश्मीरी हिन्दुओं के नेता टीकालाल टपलू तथा न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू सहित अनेकों की हत्या की गई। क्योंकि वे हिन्दू थे । वास्तव में देखें, तो जवाहलाल नेहरू एवं कांग्रेस ने कश्मीर में ‘अनुच्छेद 370’ तथा ‘अनुच्छेद 35 अ’ लागू किया, तब से ही हिन्दुओं का नरसंहार प्रारंभ हो गया था । इसलिए कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार के लिए कांग्रेस, फारुख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस और मुफ्ती मोहम्मद सईद का दल भी उत्तरदायी है, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन कश्मीरी विचारक एवं अभ्यासक ललित अंबरदास ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘सेक्युलरवादियों का ‘दि कश्मीर फाइल्स’ को विरोध क्यों ?’ ‘कश्मीरी नरसंहार को केवल ‘वी, पी. सिंह सरकार एवं उनका समर्थन करनेवाली भाजपा उत्तरदायी है क्या’, कांग्रेस के इस आरोप का उत्तर देते समय उक्त वक्तव्य किया । इस प्रकार भ्रमित करनेवाले अनेक आरोपों का खंडन करते समय ललीत अंबरदास ने स्पष्ट उत्तर दिए ।
‘दि कश्मीर फाइल्स’ यह चलचित्र मुसलमानों के विरोध में है तथा उस समय केवल हिन्दू ही नहीं, अपितु मुसलमान भी मारे गए थे, इस प्रश्न का उत्तर देते हुए अंबरदास ने कहा कि, 90 के दशक में मस्जिदों के ध्वनिवर्धक से हिन्दुओं के विरुद्ध घोषणाएं दी जा रही थीं । ‘यहां चलेगा निजाम-ए-मुस्तफा’, ‘ए हिन्दू कश्मीर छोडकर चले जाओ ’, ‘हिन्दुओं आप अपनी महिलाएं छोडकर निकल जाओ , ऐसी घोषणाएं क्या हिन्दू दे रहे थे? उसी प्रकार सेना में देश के लिए काम करनेवाले फैय्याज तथा औरंगजेब आदि एक-दो कश्मीरी मुसलमानों को छोडकर अधिकांश मुसलमान जिहाद, आतंकवाद तथा भारतविरोधी कार्रवाइयां करते समय मारे गए हैं । उनकी गणना हिन्दुओं के साथ नहीं कर सकते ।
कश्मीरी मुसलमानों ने वहां हिन्दुओं को बचाया होता, तो हिन्दुओं को कश्मीर से विस्थापित नहीं होना पडता । तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने वास्तविक रूप से कश्मीरी हिन्दुओं को बचाने का प्रयत्न किया था । उनके कारण ही आज कश्मीर भारत में हैं । इसीलिए कांग्रेस, कम्युनिस्ट, लिबरल, सेक्युलरवादी जगमोहनजी को लक्ष्य कर बदनाम कर रहे हैं; परंतु ‘दि कश्मीर फाइल्स’ इस चलचित्र के कारण कांग्रेस, कम्युनिस्ट, लिबरल, सेक्युलरवादियों द्वारा 32 वर्ष छिपाया हुआ सत्य संसार के सामने आने के कारण वे भडक गए हैं । अब मोदी सरकार ने कश्मीर में ‘हिन्दुओं का नरसंहार हुआ था’ यह वास्तविकता स्वीकार कर संयुक्त राष्ट्र संघ के नियम के अनुसार उसका गहन अन्वेषण करना चाहिए तथा दोषियों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए, ऐसी मांग भी अंबरदास ने संवाद के समापन के समय की ।