मुम्बईः थिएटर हो या न हो, पायरेसी लगातार जारी है और फिल्म उद्योग पर इसका प्रभाव पड़ता है। लगभग हर डायरेक्ट-टू-ओटीटी रिलीज अब तक मुफ्त डाउनलोड के लिए ऑनलाइन लीक हो गई है, और नवीनतम मामले में चीजें काफी काफी खरीब होती जा रही हैं।
कृति सनन की फिल्म ‘मिमी’, जो मूल रूप से 30 जुलाई को ओटीटी रिलीज़ के लिए निर्धारित थी, अपनी वास्तविक तारीख से चार दिन पहले लीक हो गई, जिससे निर्माताओं को अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा। फिल्म के निर्देशक, लक्ष्मण उत्केर इस बात से सहमत हैं कि पायरेसी के कारण ऐसा हुआ।
वह हमें बताते हैं, “हमें सुबह पता चला कि हमारी फिल्म लीक हो गया था। यह दीनू (निर्माता दिनेश विजान) का जन्मदिन था, और फिर 27 जुलाई को कृति का जन्मदिन था, इसलिए हमने फैसला किया कि हम इसे एक अवसर के रूप में भी ले सकते हैं।’’
उत्केर आगे कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं पता कि इसका वर्णन कैसे किया जाए, या हम इस चीज़ को कैसे ट्रैक करते हैं। कुछ समझ नहीं आ रहा इस बारे में।”
हालांकि निश्चित रूप से इसका बॉक्स-ऑफिस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, फिर भी एक ओटीटी रिलीज इस खतरे से प्रभावित है। व्यापार विशेषज्ञ अतुल मोहन का मानना है कि अब पाइरेसी करने वालों के लिए यह आसान हो गया है, क्योंकि उन्हें फिल्म रिकॉर्ड करने के लिए विशेष रूप से सिनेमाघरों में जाने की जरूरत नहीं है।
वास्तव में, टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म के कारण, आपको बस खोजना है, लिंक पर जाना है, और देखना शुरू करना है, आपको डाउनलोड भी नहीं करना है। 4 जी के लिए धन्यवाद, आप इसे स्ट्रीम कर सकते हैं।
इसे गंभीर समस्या बताते हुए, मोहन की राय है कि चूंकि फिल्म रिलीज से पहले ही लीक हो गई थी, इसलिए पोस्ट प्रोडक्शन स्टूडियो, ओटीटी प्लेटफॉर्म या प्रोडक्शन कंपनी का कोई व्यक्ति जिम्मेदार हो सकता है।
आनंद पंडित ने खुलासा करते हुए बताया कि पायरेसी का नवीनतम रिलीज़ पर क्या प्रभाव पड़ता है। उनकी फिल्म, ‘द बिग बुल’ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीमिंग के कुछ ही घंटों के भीतर लीक हो गई थी।
इसे खतरनाक बताते हुए निर्माता कहते हैं, ‘‘मैं समझ सकता था कि जब हम पहले सिनेमाघरों में जाते थे, तो लीकेज पॉइंट होते थे। यहां आमतौर पर फिल्म निर्माता से सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जाती है। मैं यह समझने में विफल हूं कि जब फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हो रही है, तो यह कैसे लीक हो सकती है। वैसे भी किसी भी तरह की पायरेसी इंडस्ट्री के लिए सबसे बुरी चीज है, मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।’’
प्रदर्शक अक्षय राठी का कहना है कि उद्योग और कानून प्रवर्तन एजेंसियां पायरेसी के खिलाफ अपनी लड़ाई में ‘बहुत आत्मसंतुष्ट’ हो गई हैं। राठी ने कहा, “थिएटर के मामले में, सामूहिक देखने का अनुभव प्रभावित होता है। लेकिन जब आप वेब सामग्री की चोरी में संलग्न होते हैं, तो आप उसी माध्यम से सामग्री का उपभोग कर रहे होते हैं – मोबाइल और लैपटॉप। इसलिए, सिनेमाघरों की तुलना में स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर पाइरेसी का अधिक प्रभाव पड़ता है।’’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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