व्यंग्य: आई गज़ब!!! ऐसा निचोड़-निचोड़ के धोया है कि अब गलती से भी ये गलती न करेंगे दोबारा, चाहे घड़ी में बजे हों एक ग्यारा या फिर दो बारा । तापसी दीदी की दुई चार फ़िल्में क्या हिट हुई गईं उनको लगने लगा कि अपुनीच भगवान हैं ।
अनुराग बाबू ठहरे सीधे साधे लेकिन संगत गलत कर बइठे । ‘सत्या’ से लई के ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ तक भौकाल बनाये रहे। लोग सोचे कि हो न हो ये जरूर कुछ करेगा । फिर इनको मिल गए करन जौहर साहब । औ जौहर साहब ठहरे प्रकांड ज्ञानी। आप ये समझिये कि वो पुरुष हइये नहीं बल्कि महापुरुष हैं । सो अनुराग बाबू को कोपचे में लिए और ज्ञान बांचे कि पईसा कमाना है तो ओरिजिनल वोरिजिनल छोड़ो हमाई तरह रीमेक बनाओ।
जब एक मेहनत कर रहा है तो सबको मेहनत करने की भला क्या जरूरत । बस टीपो औ पईसे छापो । अनुराग बाबू के भेजे में बात तुरन्त घुसी । बस बइठे बिठाये स्पेनिश पिच्चर मिराज का रीमेक बना डाले । सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन ज्यादा फनी बनने के चक्कर में पन्नू दीदी जनता से पंगा ले लीं । बोलीं सबको बायकॉट कर रहे हो हमें भी तो करो । असल में उनको ए ग्रेड हीरोइन वाली फीलिंग नहीं आ रही थी ।
फिर पहिले दिन से ही जनता ने दोबारा को जो पटक-पटक के धोया है कि मजाल है सिनेमा हाल में एक्को दर्शक पहुँचा हो । हाल वाले भी दुई चार शो तो किसी तरह चलाये फिर उनका भी ऑक्सीजन लेवल डाउन हुई गया तो शो कैंसिल करने पे उतर आये । 30 करोड़ में बनी पिच्चर को लाखों कमाने में भी लोहे के चने चबाने पड़ गए ।
लेकिन पन्नू दीदी को अब जाके चैन मिला । अब उनको लग रहा है कि वो भी बॉलीवुड से हैं । अनुराग बाबू का क्या है वो तो वइसे भी पन्नू मैडम की ख़ुशी में खुश हैं । बस एक बार गोदी में बैठे नहीं कि सारे गम दूर ।
बाकी भैया, दीदी आपको आज की झक्क पसन्द आयी हो तो मुस्कुराइये । चलते हैं..