नई दिल्लीः ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यापीठ’ (इग्नू) में ज्योतिषशास्त्र विषय का पाठ्यक्रम समाविष्ट करने का कुछ तथाकथित आधुनिकतावादी और नास्तिक टोलियों द्वारा विरोध किए जाने की पृष्ठभूमि पर 4 सितंबर को हिन्दू जनजागृति समिति के शिष्टमंडल ने महाराष्ट्र राज्य के माननीय राज्यपाल और कुलपति माननीय भगतसिंह कोश्यारी से मुंबई के राजभवन में भेंट की । इस समय समिति के शिष्टमंडल की विस्तृत बात सुनकर महामहिम राज्यपाल ने ‘‘ज्योतिषशास्त्र केवल शास्त्र नहीं; विज्ञान है । पूरे विश्व में उसे पढाया जाता है । न्यायालय द्वारा ज्योतिषशास्त्र की सत्यता स्वीकारी जाने पर कौन उसका विरोध कर सकता है ? आप अपना कार्य आरंभ रखिए, मैं देखता हूं ।’’, ऐसा आश्वासन देकर ज्योतिषशास्त्र का पाठ्यक्रम सिखाने को समर्थन दर्शाया । इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे, मुंबई प्रवक्ता डॉ. उदय धुरी, मुंबई समन्वयक बळवंत पाठक, गौड सारस्वत ब्राह्मण टेंपल ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रवीण कानविंदे और शिवकार्य प्रतिष्ठान के संस्थापक अध्यक्ष प्रभाकर भोसले भी उपस्थित थे ।
सर्वोच्च न्यायालय ने ज्योतिषशास्त्र के विरोध का दावा निरस्त करते हुए कहा ‘कुछ थोडे बहुत लोगो ने ज्योतिष को विरोध किया इससे विज्ञानयुग में ज्योतिष झूठा सिद्ध नहीं होता’, ऐसी टिपण्णी दी । इससे संबंधित निवेदन श्री. रमेश शिंदे ने महामहिम राज्यपाल को प्रदान किया और इस विषय में उन्हें विस्तृत जानकारी भी दी । समिति की ओर से माननीय राज्यपाल को ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विद्यापीठ’ में ज्योतिषशास्त्र सिखाने का निर्णय परिवर्तित न करने की विनती की गई । जिस पर महामहिम राज्यपाल ने सकारात्मक प्रतिसाद दिया ।
गणेशमूर्ति विसर्जन हेतु हिन्दू धर्मशास्त्र से विसंगत कृत्रिम हौदों को प्रोत्साहन देना बंद कर, शासन शाडू मिट्टी से बनी गणेश मूर्तियों को प्रोत्साहन दे । साथ ही हिन्दू धर्म को दुष्प्रचारित करने हेतु वैश्विक स्तर पर आयोजित की जानेवाली ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्स का आयोजन करनेवाले, उनमें सहभागी होनेवाले और उन्हें सहायता करनेवालों पर कार्यवाही करे, इन विषयों के निवेदन भी महामहिम राज्यपाल को दिए गए ।
कागजी लुगदी से बनी मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाकर शाडू मिट्टी की मूर्ति को प्रोत्साहन दें!
`पर्यावरणपूरक होने का दिखावा कर कागजी लुगदी से बनी मूर्तियों को प्रोत्साहन देने का निर्णय तत्कालीन शासन ने लिया था; परंतु कागजी लुगदी से बनी मूर्ति अधिक प्रदूषणकारी होने से उन पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने वर्ष 2016 में प्रतिबंध लगाया था । साथ ही दिनांक 3 मई 2011 को शासन द्वारा लिए निर्णय को स्थगित किया था । तब भी बाजार में कागजी लुगदी से बनी मूर्तियां विशाल संख्या में बेची जा रही हैं । उन पर प्रतिबंध लगाया जाए और प्राकृतिक रंग में रंगी शाडू मिट्टी की मूर्तियों को प्रोत्साहन दिया जाए, ऐसी मांग भी राज्यपाल से की गई । इनकी ओर ध्यान देने का आश्वासन महामहिम राज्यपाल ने दिया है ।
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