धर्म-कर्म

सूर्यदेव की उपासना अति शीघ्र फल देने वाली

शास्त्रों में सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना जाता है जिनके दर्शन हर कोई कर सकता है। सूर्यदेव (Suryadev) के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भगवान सूर्य (Lord Surya) को यदि कोई प्रसन्न कर ले तो उसका जीवन संवर जाता है।

शास्त्रों में सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना जाता है जिनके दर्शन हर कोई कर सकता है। सूर्यदेव (Suryadev) के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भगवान सूर्य (Lord Surya) को यदि कोई प्रसन्न कर ले तो उसका जीवन संवर जाता है।

शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति भगवान सूर्य की स्तुति करता है, रविवार को व्रत रखता है और सुबह-सुबह उन्हें अर्घ्य देता है, उसके जीवन में सुख और शांति तो आती ही है साथ ही उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी शीघ्र पूरी होती हैं।

रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि भगवान राम ने लंका के लिए सेतु निर्माण से पहले सूर्य देव की आराधना की थी। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी। सूर्य को शक्ति का स्त्रोत माना गया है।

हिंदू धर्म में सूर्यदेव की उपासना अति शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है। रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा के लिए करने के लिए प्रातः जल्दी सोकर उठें। जब सूर्य उदय हो तब सूर्य देव को प्रणाम करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ या ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ कहकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें।

सूर्य को अर्पित किए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। सूर्य को जल देने के बाद मन ही मन प्रणाम करें और सद्बुद्धि देने की कामना करें।

शास्त्रों में सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना जाता है जिनके दर्शन हर कोई कर सकता है। सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भगवान सूर्य को यदि कोई प्रसन्न कर ले तो उसका जीवन संवर जाता है।

शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति भगवान सूर्य की स्तुति करता है, रविवार को व्रत रखता है और सुबह-सुबह उन्हें अर्घ्य देता है, उसके जीवन में सुख और शांति तो आती ही है साथ ही उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं भी शीघ्र पूरी होती हैं।

रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि भगवान राम ने लंका के लिए सेतु निर्माण से पहले सूर्य देव की आराधना की थी। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी। सूर्य को शक्ति का स्त्रोत माना गया है।

हिंदू धर्म में सूर्यदेव की उपासना अति शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है। रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा के लिए करने के लिए प्रातः जल्दी सोकर उठें। जब सूर्य उदय हो तब सूर्य देव को प्रणाम करें और ‘ॐ सूर्याय नमः’ या ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:’ कहकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें।

सूर्य को अर्पित किए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें। सूर्य को जल देने के बाद मन ही मन प्रणाम करें और सद्बुद्धि देने की कामना करें।