हिंदू संस्कृति (Hindu Culture) में प्रति दिन सुबह सूर्य को जल देने की परंपरा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्यों देते हैं सूर्य को जल (Surya ko Jal) और क्या हैं इसके कारण। शरीर में ऊर्जा का संचार करने के लिए क्या करें? शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता के लिए क्या करना चाहिए? आत्म शुद्धि और आत्म बल के लिए क्या करें?
कहा जाता है कि जल से छनकर सूर्य की किरणें जब शरीर पर पड़ती हैं तो शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। शरीर में रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
महाभारत में कथा है कि कर्ण नियमित सूर्य की पूजा करते थे और सूर्य को जल का अर्घ्य देते थे। सूर्य की पूजा के बारे में भगवान राम की भी कथा मिलती है कि वह भी हर दिन सूर्य की पूजा और अर्घ्य दिया करते थे। शास्त्रों में भी कहा गया है कि हर दिन सूर्य का जल देना चाहिए और बहुत से लोग इस नियम का पालन भी करते हैं। नियमित सूर्य को जल देने से आत्मशुद्धि और आत्मबल प्राप्त होता है। सूर्य को जल देने से आरोग्य लाभ मिलता है।
सूर्य को नियमित जल देने से सूर्य का प्रभाव शरीर में बढ़ता है और यह आपको उर्जावान बनाता है। कार्यक्षेत्र में इसका आपको लाभ मिलता है।
जल चिकित्सा और आयुर्वेद के अनुसार प्रातःकालीन सूर्य को सिर के ऊपर पानी का बर्तन ले जाकर जल अर्पित करना चाहिए। ऐसा करते समय अपनी दृष्टि जलधारा के बीच में रखें ताकि जल से छनकर सूर्य की किरणें दोनों आंखों के मध्य में पड़ें। इससे आंखों की रौशनी और बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।