धर्म-कर्म

इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के क्यों नहीं हैं हाथ-पांव 

भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) भारत और दुनिया भर में भक्तों द्वारा पूजे जाने वाले एक हिंदू देवता हैं। भगवान जगन्नाथ का मंदिर ओडिशा के पुरी शहर में स्थित है। यहां भगवान के साथ उनके भाई बलभद्र (Balarama) और बहन सुभद्रा (Subhadra) की भी पूजा की जाती है।

भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) भारत और दुनिया भर में भक्तों द्वारा पूजे जाने वाले एक हिंदू देवता हैं। भगवान जगन्नाथ का मंदिर ओडिशा के पुरी शहर में स्थित है। यहां भगवान के साथ उनके भाई बलभद्र (Balarama) और बहन सुभद्रा (Subhadra) की भी पूजा की जाती है। जगन्नाथ जी का मंदिर निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी की मूर्ति लकड़ी से बनी हुई है, जिसे हर 12 साल में बदला जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां भगवान की मूर्ति के हाथ और पैर नहीं हैं। आखिर क्यों, यह आज जानते हैं।

भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार (अवतार) माना जाता है। वास्तव में, उनके पास भगवान विष्णु के सभी अवतारों के गुण हैं। भगवान जगन्नाथ की अलग-अलग अवसरों पर अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।

भगवान जगन्नाथ के इस अद्भुत रूप के विषय में यह कथा है कि मालवा के राजा को भगवान विष्णु ने स्वप्न में कहा-समुद्र तट पर जाओ वहां तुम्हें एक लकड़ी का लट्ठा मिलेगा, उससे मेरी प्रतिमा बनाकर स्थापित करो। राजा ने ऐसा ही किया और उनको वहां पर लकड़ी का एक लट्ठा मिला।

इस बीच देव शिल्पी विश्वकर्मा एक बुजुर्ग मूर्तिकार के रूप में राजा के सामने आये और एक महीने में मूर्ति बनाने का समय मांगा। विश्वकर्मा ने यह शर्त रखी कि जब तक वह खुद आकर राजा को मूर्तियां नहीं सौप दे तब तक वह एक कमरे में रहेगा और वहां कोई नहीं आएगा। राजा ने शर्त मान ली, लेकिन एक महीना पूरा होने से कुछ दिनों पहले मूर्तिकार के कमरे से आवाजें आनी बंद हो गयी तब राजा को चिंता होने लगी कि बुजुर्ग मूर्तिकार को कुछ हो तो नहीं गया। इसी आशंका के कारण उसने मूर्तिकार के कमरे का दरवाजा खुलवाकर देखा। कमरे में कोई नहीं था और मूर्तियों के हाथ-पांव नहीं थे।

राजा अपनी भूल पर पछताने लगा तभी आकाशवाणी हुई कि यह सब भगवान की इच्छा से हुआ है, इन्हीं मूर्तियों को ले जाकर मंदिर में स्थापित करो। राजा ने ऐसा ही किया और तब से जगन्नाथ जी इसी रूप में पूजे जाने लगे।